MPPHED में शिकायतों की जांच ही नहीं होती, कर्मचारी माथे पर कलंक लिए रिटायर हो गए | EMPLOYEE NEWS

भोपाल। सोमवार 11 फरवरी को मध्य प्रदेश शासन के स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले 6 महीने में सस्पेंड किए गए सभी डॉक्टरों को एक साथ बहाल कर दिया लेकिन इसी मध्यप्रदेश में हजारों मामले ऐसे हैं जिनमें पांच और पांच से अधिक साल से जांच तक नहीं हुई और आरोपित कर्मचारी या अधिकारी रिटायर हो गया। बात सिर्फ यह नहीं है कि जांच प्रक्रिया में इतनी बड़ी लापरवाही के कारण कई भ्रष्ट अधिकारी रिटायरमेंट तक अपनी कुर्सी पर जमे रहे बात तो यह भी है कि वह ईमानदार कर्मचारी जिस पर किसी ने साजिश के तहत झूठा आरोप लगा दिया था सारी उम्र माथे पर कलंक लिए नौकरी करता रहा और उसी कलंक के साथ रिटायर हो गया।

प्रदेश कर्मचारी कांग्रेस के सचिव शोएब सिद्दीकी का कहना है कि, लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग में अधिकारियों- कर्मचारियों की लंबित शिकायतों के चलते उन्हें सामाजिक और आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है। साथ ही कहा की, इन शिकायतों का निराकरण नहीं होने के कारण अधिकारियों, कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद शिकायत की जांच और पेंशन नहीं मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कांग्रेस सचिव शोएब सिद्दीकीसिद्दकी के अनुसार कई ऐसे मामले हैं, जिनमे करीब 10 साल से जांच जारी है, लेकिन अभी तक कोई निराकरण नहीं हुआ है और वो रिटायर भी हो गए। 

ऐसे में उन्हें सामाजिक प्रतिष्ठा में हानि होती है। मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। उनके परिजन भी सामाजिक और आर्थिक रूप से परेशान होते हैं। पीएचई मंत्री को एक ज्ञापन देकर मांग करेंगे कि, सरकार के नियमानुसार 1 साल में शिकायतों का निराकरण करें, ताकि रिटायरमेंट के बाद इस तरह की परेशानियां कर्मचारियों और उनके परिजनों को ना झेलनी पड़े.

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