जबलपुर ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स में इंदौर और ग्वालियर से पिछड़ा | MP NEWS

जबलपुर। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के फीडबैक के बाद जबलपुर को रहने योग्य बेहतर शहर बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा कराए जा रहे ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स 2019 सर्वे के फीडबैक देने में भी जबलपुर पिछड़ रहा है। रहन-सहन में सुधार लाने के लिए भारत सरकार के शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा लिए जा रहे नागरिक फीडबैक में जबलपुर चौथे पायदान पर है। इंदौर और ग्वालियर आगे निकल गए हैं। 

भारत के 100 शहरों में जबलपुर 16वें स्थान पर

देश के 100 शहरों में भी हम 16वें स्थान पर हैं, क्योंकि जानकारी के अभाव में नागरिकों को यह पता नहीं चल रहा कि फीडबैक कहां और कैसे देना है? इसके प्रचार-प्रसार में स्मार्ट सिटी, नगर निगम भी कंजूसी कर रहा है। इसके उलट कंगाली के दौर से गुजर रहा नगर निगम छोटे-छोटे दीगर कार्यक्रमों का इस तरह प्रचार-प्रसार करवा रहा है कि आधा शहर बैनर, पोस्टरों पाट दिया गया है। स्मार्ट सिटी के फंड का भी जमकर उपयोग किया जा रहा है।

फीडबैक में लोगों को क्या बताना है

ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स के तहत कराए जा रहे सर्वे में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी से ही शहर को श्रेष्ठ स्थान मिल सकता है। नागरिकों को फीडबैक में सिर्फ यह बताना है कि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन सुविधा से लेकर साफ पानी मिल रहा है या नहीं? शहरवासियों के फीडबैक के आधार पर ही केन्द्र सरकार शहर को और स्मार्ट बनाने में आर्थिक मदद करेगी। बड़े कामों का अड़ंगा दूर होगा। विकास को गति मिलेगी और शहर की तकदीर और तस्वीर बदल सकती है।

29 फरवरी तक फीडबैक दे सकते हैं

नागरिक ईओएल 2019 डॉटओआरजी सिटीजन फीडबैक पर या फिर लिंक पर जाकर क्यूआर कोड स्केन कर हिंदी और इंग्लिश में फीडबैक दे सकते हैं।
फीडबैक में तय मापदंडों के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, यातायात, पानी की उपलब्धता, आवास जैसे 4 बिन्दुओं के आसान से सवालों के जवाब देने होंगे।
29 फरवरी तक फीडबैक दिया जा सकता है।
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फीडबैक के लिए नागरिकों को जागरूक किया जा रहा है। फिर भी हम देशभर में टॉप 10 में नहीं आ पाए हैं। नागरिकों के सकारात्मक फीडबैक से ही शहर के विकास को गति मिलेगी। शहर का स्वरूप तेजी से बदलेगा।
आशीष कुमार पाठक, सीईओ स्मार्ट सिटी
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