शिक्षक समुदाय-चुनौती स्वीकार करे मेरी शाला- मेरी जिम्मेदारी- khula khat

वर्तमान परिस्थितियों में शासकीय शिक्षकों को बदनाम और शासकीय शालाओं को बर्बाद कर स्कूल शिक्षा विभाग को बंद कर निजीकरण की नीति पर काम रहे अधिकारियों से कोई आशा न कर शालाओं में पदस्थ समस्त शिक्षक समुदाय को स्वयं इस चुनौती को स्वीकार कर "मेरी शाला मेरी जिम्मेदारी" अभियान की भावना से पूर्ण शिक्षकीय गुण और अनुभव से कार्य करने की कृपा करें। 

हमारे कई ऐसे शिक्षक साथी हैं जिनमें विलक्षण योग्यता, क्षमता, अद्भुत  योजनाकार और श्रेष्ठ शिल्पकार-सृजनकार हैं जो पढ़ने-पढ़ाने और भाषा शैली बोलने की क्षमताओं से बच्चों उनके माता-पिता और पालकों  को अपनी वाकचातुर्य, सौजन्यता और शिक्षा में समर्पण भाव से प्रभावित कर शासकीय शालाओं में दर्ज संख्या बढ़ाने का कार्य कर सकते हैं।अनेक शिक्षक साथी कई वर्षों से शालाओं से दूर अन्यत्र अपनी सेवाएं दे रहे हैं जहां वे स्कूल से भी ज्यादा परिश्रम करते हैं उनसे भी आग्रह है कि शिक्षा विभाग जो हमारी अपनी रोजी-रोटी है उसको बचाने के लिए अपनी योग्यताओं का जो परम् पिता परमेश्वर ने बडी उदारता से हमे सौंपी है उसका समुचित उपयोग ग्रामीण, अभावग्रस्त और दूरस्थ क्षेत्र की शालाओं में पहुंचकर शालाओं को बंद होने से बचाने में अपना योगदान प्रदान करें।

शिक्षा का निजीकरण कर शिक्षा को उनकी पहुंच से आम जनता को शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित करने का षडयंत्र विशिष्ट वर्ग द्वारा चलाया जा रहा है इस षडयंत्र को नेस्तनाबूद करने की शक्ति प्रत्येक शासकीय शिक्षक में है।अपने सामर्थ्य को पहचाने और भावी पीढ़ी के लिए शिक्षा का अधिकार सुरक्षित रखे।शासकीय शालाए बचेगी तो शिक्षक बचेगे और शिक्षक बचेगे तो आम जनता का शिक्षा का अधिकार सुरक्षित बचेगा।आओ हम सब मिलकर विभाग और शिक्षा दोनो को बचाये।
लेखक- आरिफ अंजुम, प्रांताध्यक, शासकीय अध्यापक संघ मध्यप्रदेश 
संकलित- रमेश पाटिल, प्रातिय कार्यकारी संयोजक, अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!