कलेक्टरों को बताओ, हर तरह की कार्रवाई एंटी माफिया के नाम पर दर्ज ना करें: सीएम कमलनाथ | MP NEWS

भोपाल। माफिया के खिलाफ चल रहे अभियान पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फिर सख्ती दिखाई है। उन्होंने साफ कर दिया कि इस अभियान को रोकने के लिए किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव को सहन नहीं किया जाएगा, लेकिन कानून का उल्लंघन करने वाले साधारण लोगों को माफिया की दृष्टि से न देखें। माफिया वह है जो संगठित अपराधों जैसे- एक्सटाॅर्शन, ब्लैकमेलिंग, गुंडागर्दी के जरिए लोगों पर दबाव बनाता है। जिन अफसरों के समय यह सब हुआ है, उनकी जिम्मेदारी तय हो। मुख्यमंत्री शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों के साथ विभागों के अधिकारियों की मीटिंग ले रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि शुद्ध के लिए युद्ध भी कमजोर न पड़े। अब मिलावटी दवाई बनाने वाली दवा कंपनियों के विरूद्ध अभियान चलाया जाएगा।

इन पर सीएम का फोकस केंद्र से पैसा लाएं

केरल के लोग हर योजना में जितना पैसा केंद्र से मिलता है, फाॅलो करके ले जाते हैं। मप्र में ऐसा क्यों नहीं होता। हर छोटा-बड़ा अधिकारी अपने क्षमताओं के अनुसार केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों में जाएं और पैसा लाएं। वित्तीय वर्ष के अंतिम तीन माह में राशि जारी होती है। 


भवनों का एक रंग 

मुख्यमंत्री ने कहा, सरकारी भवन को एक रंग में किया जाए। ऐसी सड़कों को अधिसूचित करें, जिनके आसपास भवनों को किसी एक रंग में किया जा सके लेकिन इसके लिए लाखों रुपए का प्रस्ताव न बनाएं, जनता की भागीदारी से काम करें। 


डिलेवरी सिस्टम

निवेश करने वाले को यदि 3 या 5 माह लगेंगे तो कोई उद्योगपति नहीं आएगा। जैसे डीम्ड अप्रुवल की व्यवस्था उद्योग विभाग कर रहा है, वैसा ही नवाचार दूसरे विभाग क्यों नहीं कर सकते। एेसा वातावरण बनाएं कि निवेश बढ़े। ई-गवर्नेंस की जगह वी-गर्वनेंस की तरफ जाएं। 


स्वास्थ्य, शिक्षा और सफाई 

उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र या कर्नाटक में स्वास्थ्य, शिक्षा व सफाई को लेकर क्या नया हो रहा है, वर्किंग ग्रुप बनाकर लोगों को भेजें। सिर्फ इंदौर ही साफ क्यों है। और भी सेक्टर हैं, जिनमें भोपाल-इंदौर समेत अन्य शहरों को अव्वल किया जा सकता है। प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आयुर्वेदिक डॉक्टर की पद स्थापना की जाए।

निर्देश : 7 दिन में कर्मचारी चयन आयोग कार्यशील करो

सीएम ने अफसरों से कहा- किसी शासकीय भवन के आसपास सरकारी जमीन ज्यादा है तो उसका उपयोग राज्य हित में करें। भेल के पास ऐसी बहुत जगह है। 
कर्मचारी चयन आयोग को भी 7 दिन में कार्यशील करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी विभाग की फाइल क्लियर करते समय यह देखें कि नुकसान तो नहीं है। यदि हो रहा है तो अफसर दोषी होंगे। 
स्कूल-काॅलेजों में यह कैसी शिक्षा है कि देश के टाॅप 100 में मप्र का एक भी काॅलेज या विवि नहीं है। आचार-व्यवहार में परिवर्तन लाएं। इंटरनेट और गूगल के दौर में नहीं बदले तो व्यवस्था कैसे चलेगी। 
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 5 साल के जिस विजन को जारी किया है, उसके अमल की रणनीति बना लें। पहले साल के टार्गेट में क्या हो सकता है, 15 दिन बाद फिर रिव्यू करूंगा। 

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