पिछले साल तक प्राइवेट कर्मचारियों को उनके ऑफिस में जाकर लोन बांटने वाले बैंक अब सख्त नियम बना रहे हैं। अब तक प्राइवेट कर्मचारियों को उनकी सैलरी स्लिप फॉर बैंक स्टेटमेंट के आधार पर लोन मिल जाया करता था लेकिन अब कर्मचारी को अपनी कंपनी से एक वचन पत्र साइन करवा कर लाना पड़ेगा। इसके अलावा और भी कई ऐसे नियम बनाए गए हैं जो प्राइवेट कर्मचारियों के लिए लोन को काफी मुश्किल बना देंगे।
HR वचन पत्र साइन करेगा तब कर्मचारी को LOAN मिलेगा
नियोक्ता को लिखकर देना होगा कि अगर लोन लेने वाला कर्मचारी नौकरी छोड़कर गया तो उसके फाइनल सेटलमेंट से पहले इसकी जानकारी बैंक को देनी होगी। अगर लोन लेने वाले कर्मचारी को नई नौकरी मिल रही है, तो कहां मिल रही है, यह जानकारी भी बैंक रखेगा। अगर उसे लंबी अवधि तक किसी रोजगार की कोई संभावना न दिखे तो बैंक उसके लोन की रिकवरी के लिए उसकी दूसरी परिसंपत्तियों की जानकारी तक हासिल करेंगे।
नियमों को नजरअंदाज करके लोन बांटने वाले BANK अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई
पिछले दिनों बैंकों के ऑडिट में बड़े पैमाने पर यह पाया गया था कि कारपोरेट लोन के साथ छोटे-छोटे रिटेल लोन देने में बैंकों ने तय प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया। इसके लिए लोन एप्रूव करने वाले अधिकारियों को ही जिम्मेदार माना गया। कई अधिकारियों को तो दंड स्वरूप डिमोट तक कर दिया गया। इसके चलते अब बैंक नए कर्ज देने में काफी सतर्कता बरत रहे हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस सतर्कता से बाजार में नए कर्ज मिलने में परेशानी खड़ी होगी।
HOME LOAN - CAR LOAN के लिए पहले क्या होता था
प्राइवेट नौकरी करने वालों की सैलरी स्लिप ही लोन लेते वक्त काफी मान ली जाती थी।
तीन साल का इनकम टैक्स रिटर्न का सीए का सर्टिफिकेट काफी था।
जहां नौकरी कर रहे हैं उस कंपनी की डिटेल काफी मानी जाती थी।
प्राइवेट नौकरी बदलने की जानकारी देना बिल्कुल जरूरी नहीं था।
थर्ड पार्टी गारंटी जरूरी नहीं थी।
प्राइवेट कर्मचारियों के लिए होम लोन एवं कार लोन के नए नियम
सैलरी स्लिप को नियोक्ता से क्रॉस चैक कराई जा रही, ताकि सही इनकम पता लग सके।
आवेदक का बैंक स्टेटमेंट्स का क्रॉस वेरिफिकेशन होगा। देखेंगे कि वास्तव में कितनी आय अर्जित की।
नियोक्ता का एक प्रमाणपत्र देना होगा कि आवेदक उसके यहां नौकरी करता है।
बैंक को यह जानकारी नियोक्ता को ही देनी होगी। साथ ही सेटलमेंट की राशि रोककर रखना होगी।
अब थर्ड पार्टी गारंटी जरूरी होगी।
व्यापार एवं उद्योग के लिए लोन की नई शर्तें | NEW RULES FOR BUSINESS LOAN
व्यापारी व उद्यमी द्वारा दी जाने वाली बैलेंस शीट काफी मानी जाती थी।
उद्यमी के लिए मशीनरी का काेटेशन लगाना काफी माना जाता था।
फैक्ट्री लगाने के लिए जरूरी क्लीयरेंस का प्रमाण देना जरूरी नहीं था।
अब बैंक उस बैलेंस शीट को क्रॉस चेक करेंगे।
अब उस मशीन की बाजार में प्रचलित कीमत पता लगाएंगे बैंक।
सारे क्लीयरेंस दिखाना जरूरी। मशीन लगाने जरूरी अप्रूवल देना होगा।
नए नियम बैंकों को ही नुकसान पहुंचाएंगे: डॉ. आरएस गोस्वामी
बाजार को सपोर्ट की जरूरत है। ऐसे में बैंकों को नए कर्ज मिलना और आसान बनाना चाहिए। सबके पास सरकारी नौकरी नहीं हो सकती। उन्हें नई ग्रोथ प्राइवेट सेक्टर से ही मिल सकती है। इस तरह की सख्ती से वे कर्ज की दर की बढ़ोतरी की संभावनाओं को खो देंगे।
डॉ. आरएस गोस्वामी, अध्यक्ष, एमपीसीसीआई
उपभोक्ता लोन में कर्ज की दर कम होगी
नियम तो पुराने थे लेकिन कुछ बैंक अधिकारी कर्ज की ब्याज दर ज्यादा लेकर लोन पास कर देते थे। अब एनपीए बढ़ने के बाद वे नियमों का पालन सख्ती से कर रहे हैं। नियोक्ता का वचन पत्र मिलने के बाद उपभोक्ता लोन में कर्ज की दर भी कम होती है।
मदन किशोर जैन, अध्यक्ष, एसबीआई अधिकारी एसो. मप्र और छग