धरती गर्म तो भोपाल ठंडा क्यों ? | EDITORIAL by Rakesh Dubey

भोपाल। ठंडाते भोपाल के एक पाठक ने बड़ा रोचक सवाल किया है, “जब जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे ग्रह पृथ्वी के गरम होने की बात की जा रही है, तब भोपाल में इतना कम तापमान क्यों है?” इसका सही जवाब तो मौसम विभाग भी नहीं दे पा रहा है ,परन्तु इसके दो पहलू हैं। पहला यह कि इन दिनों भोपाल में तापमान सामान्य से कम है, जबकि दुनिया में कई जगहों पर इसकी स्थिति अपेक्षाकृत ठीक है। अत: एक क्षेत्र में ठंड मौसम का मतलब यह नहीं है कि पूरी दुनिया ही सर्द हो गई है। दूसरा पहलू यह है कि जिसे हम ‘सामान्य’ तापमान कहते हैं, वह औसतन 30 वर्ष लंबी अवधि पर आधारित होता है।

अधिकांश दिन तापमान इस औसत के करीब होता है, लेकिन कुछ दिन बहुत गरम या कुछ दिन ज्यादा ठंडे हो जाते हैं। जैसे आनेवाली 4 जनवरी की रात और 5 जनवरी की सुबह भोपाल के बहुत ठंडा होने का अनुमान मौसम विभाग का है। वैसे हर साल बहुत से दिन आते हैं, जब हम बहुत गरम या बहुत सर्द दिन महसूस करते हैं। जैसे-जैसे दुनिया गरम होती जाती है, जैसे-जैसे दिन औसतन ज्यादा गरम होते जाते हैं, वैसे-वैसे बहुत गरम दिन अधिक सामान्य होते जा रहे हैं और इस बीच वास्तव में ठंडे दिन कम होते जा रहे हैं। तो दिसंबर में ऐसी कड़ाके की सर्दी वास्तव में एक दुर्लभ घटना रही है। इसे जलवायु परिवर्तन के साथ भी अगर देखा जाए, तो यह दुर्लभ थी। अब सवाल यह है कि ऐसी सर्दी कहां से आई? 

वैसे दिसंबर में उत्तर भारत में आमतौर पर ठंडी हवाएं चलती हैं और जनवरी में सर्दी धीरे-धीरे अपने शबाब पर आ जाती है। जनवरी में ही पश्चिम से आने वाली हवाओं की शुरुआत हम देखते हैं। यह हवा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होती है। ये पश्चिमी विक्षोम ठंडी हवा लाते हैं, जो हिमालय से टकराती है और कभी-कभी उत्तर की ओर इसका रुख होता है, तो कभी दक्षिण की ओर ज्यादा रहता है। हवाएं जब दक्षिण की ओर आती हैं, तो वे आर्द्रता के साथ बारिश भी ला सकती हैं। वैसे इन दिनों पश्चिमी विक्षोभ के कारण बर्फबारी हो रही है। ग्लेशियरों पर बर्फ की मोटी चादर और मोटी हो गई है। 

इस दिसंबर में पश्चिमी विक्षोभ का लगातार दक्षिण की ओर बने रहने से हवाओं ने मैदानी इलाके को काफी ठंडा कर रखा है। पूरब से हवाएं आने , बंगाल की खाड़ी से हवाओं का उठना, जो ठंडी हवाओं को धकेलेगी, गरमी और बारिश लाएगी। हवाएं और बारिश आम तौर पर प्रदूषण के स्तर को कम रखने में सहायक होती हैं, इसलिए जब मौसम बदल रहा है, तब हम प्रदूषण से भी राहत की उम्मीद कर सकते हैं। प्रदूषण जब हवा में नमी के साथ संयोजन करता है, तो कोहरे जैसी स्थिति को जन्म देता है, जैसा इन दिनों भोपाल की सुबह दिखती है। धरती पर पड़ने वाला सूर्य का प्रकाश अवरुद्ध हो जाता है। सूर्य का प्रकाश जब अवरुद्ध होता है, तब दिन का तापमान भी कम हो जाता है।

जैसे-जैसे जलवायु गरम होती जाती है, वैसे-वैसे हवाओं के व्यवहार में भी बदलाव आने की संभावना होती है। ये कुछ ऐसे बदलाव हैं, जिन्हें हमें बेहतर तरीके से देखना और समझना है। जलवायु परिवर्तन का आभास हमें तभी होता है, जब मौसम अपना कोई चरम रूप हमें दिखाता है। ठंड बुरी नहीं है, क्योंकि इससे भी हमें अंतत: पानी मिलता है।

अब हमने रिकॉर्ड सर्द दिसंबर भी देख लिया है। क्या अजीब मौसम का हम अनुभव कर रहे हैं? अगले सप्ताह अर्थात 4 जनवरी रात और 5 जनवरी की सुबह भोपाल ठंडा रहेगा फिर शनै:- शनै: गर्म होगा ऐसा मौसम विभाग का अनुमान है| वैसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि धरती गर्म हो रही है, मध्यप्रदेश ठंडा है और भोपाल में ठंड कुछ ज्यादा है, अपेक्षाकृत।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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