सरकारी आवास आवंटन घोटाला: रिश्वत लेने वाला जेल में, देने वाले अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं | BHOPAL NEWS

भोपाल। जिस तरह दहेज लेना और देना दोनों अपराध है उसी तरह रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध है। यह तब और भी गंभीर हो जाता है जब रिश्वत देने वाला एक सरकारी कर्मचारी हो। भोपाल के सरकारी आवास आवंटन घोटाले में संपदा संचालनालय ने रिश्वत लेकर मुख्यमंत्री के नाम पर फर्जी आवंटन जारी करने वाले क्लर्क राहुल खरते को तो जेल भिजवा दिया है परंतु 100 से अधिक सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है जिन्होंने यह रिश्वत दी। 

मास्टरमाइंड राहुल खरते का सरकारी आवास भी खाली कराया

100 से अधिक सरकारी आवास का फर्जी हस्ताक्षर कर आवंटन जारी करने वाले आवास घोटाले के मास्टरमाइंड राहुल खरते पर संपदा विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गुरुवार को सरकारी आवास घोटाले का मास्टरमाइंड गृह विभाग के बाबू राहुल खरते व उसकी पत्नी से गुरुवार को मकान खाली करवा लिया गया। सरकारी आवास क्रमांक जी-1/311 ग्यारह सौ क्वार्टर को संपदा संचालनालय ने खाली करवाया। राहुल को एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया गया है।

विभागीय जांच में प्रमाणित हो चुका है सरकारी आवास आवंटन घोटाला

संपदा अधिकारी मुकुल गुप्ता ने बताया कि लंबे समय से मुख्यमंत्री के अधिकारों का दुरुपयोग करने वाले इस बाबू ने सरकारी आवास आवंटित करने के 30 से 50 हजार रुपए तक लिए है। राहूल 2012 से 2018 तक गृह विभाग की आवंटन शाखा में पदस्थ था। इस दौरान बड़ी संख्या में आवास आवंटित किए। इसमें सामान्य प्रशासन विभाग के कर्मचारियों तक बी से ई टाइप के आवास 30 से 50 हजार रुपए में आवास आवंटित किए।

संपदा अधिकारी ने पकड़ी थी गड़बड़ी

फर्जी नोटशीट के जरिए सरकारी आवास का आवंटन करने वाले क्लर्क का पर्दाफाश संपदा अधिकारी ने किया। 18 जुलाई 2018 से अब तक फर्जी जावक नंबर से 25 कर्मचारियों को सरकारी मकान का आवंटन इस बाबू ने किया था। संपदा अधिकारी मुकुल गुप्ता ने इस गड़बड़ी की जांच की तो पता चला कि ये गड़गड़ी संपदा संचालनालय के क्लर्क राहुल के समय में की गई है। इस आधार पर पुलिस ने उसे आरोपी बनाकर जेल पहुंचा दिया है। 

रिश्वत देकर सरकारी आवास लेने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही कब होगी 

आवंटन अधिकारी मुकुल गुप्ता ने बताया कि राहुल खरते ने अब तक जितने सरकारी आवास आवंटित किए थे, वे सभी निरस्त करवाकर खाली करवाए जा रहे हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि रिश्वत देकर सरकारी आवास प्राप्त करने वाले सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। रिश्वत देने वाले मजबूर किसान नहीं थे। शासकीय सेवक अच्छी तरह से जानता है कि रिश्वत अपराध है। शासकीय सेवक यह भी जानता है कि रिश्वत मांगने पर लोकायुक्त से शिकायत करनी चाहिए। बावजूद इसके करीब 100 अधिकारी कर्मचारियों ने रिश्वत दी और सरकारी आवास हासिल किया। घोटाले में वह भी समान रूप से अपराधी हैं। उनके खिलाफ मामला दर्ज करना तो दूर, निलंबन की कार्रवाई तक नहीं की गई।

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