भोपाल। शाहजहानी पार्क इन दिनों सूबे के कॉलेजों में कार्यरत अतिथिविद्वानों के इंकलाबी नारों से गूंज रहा है। हर तरफ कांग्रेस पार्टी की सरकार व मुख्यमंत्री कमलनाथ से वचनपत्र के नियमितीकरण के वादे को पूरा करने का ही शोर है। जबकि सरकार उदासीन बनी हुई है।
अतिथि विद्वानों ने जल सत्याग्रह किया
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा है कि विगत एक माह से अतिथिविद्वान अपने अधिकार की लड़ाई शांतिपूर्ण एवं संवैधानिक दायरे में रहकर लड़ रहे है, किन्तु सरकार कुम्भकर्णी नींद सोई हुई है। सरकार को वचनपत्र स्मरण कराने के उद्देश्य से आज शाहजहानी पार्क में ही स्थित जल कुंड में अतिथिविद्वानों ने कड़ाके की हाड़ मांस तक कंपा देने वाली सर्दी में आधा शरीर ठंडे पानी मे डूबकर जल सत्याग्रह किया। इस जल सत्याग्रह का उद्देश्य सरकार को वचनपत्र की कंडिका 17.22 अनुसार नियमितिकरण का वादा स्मरण कराना था। इस जल सत्याग्रह में बड़ी संख्या में महिला अतिथिविद्वान साथियों ने भी हिस्सा लिया। जल सत्याग्रह लेने वालों में डॉ गणेश पटेल, शशांक शर्मा, आर के पाटिल, रूचि तिवारी, शशिकला पटेल, नवीन चौधरी, प्रदीप पांडेय,डॉ शाहीन खान, मनोज नागले, नरेंद्र पांडेय, नितेश कनाटे एवं अन्य अतिथिविद्वान उपस्थित थे।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी धरनास्थल पर पहुँचे
अतिथिविद्वान नॉयमितिकरण संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली के अनुसार आज धरनास्थल पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी का आगमन हुआ। जिन्हें अतिथिविद्वानों की समस्याओं एवं नियमितिकरण के वचन के संबंध में जानकारी दी गई। मंत्री जी के आंदोलन समाप्ति के आग्रह पर उन्हें बताया गया कि यह अतिथि विद्वानों के जीवन मरण का प्रश्न है। हम कई बार इसी तरह से छले गये हैं। आप मुख्यमंत्रीजी से इस संबंध में एक आदेश जारी करवाये। हमारा आंदोलन उसी दिन समाप्त हो जाएगा। मंत्री प्रभुराम चौधरी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री कमलनाथ से बात करने का आश्वासन दिया है।
चॉइस फिलिंग के नाम पर मीडिया और अतिथिविद्वानों को गुमराह किया जा रहा है
अतिथिविद्वान नियामितिक्रम संघर्ष मोर्चा में मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग ने चॉइस फिलिंग के नाम पर मीडिया एवं आम जनता सहित अतिथिविद्वानों को गुमराह कर रखा है। अब तक लगभग 2700 अतिथिविद्वानों को फालेन आउट करके सेवा से बाहर कर दिया गया है जबकि चॉइस फिलिंग केवल 680 पदों पर हो रही है। यक्ष्य प्रश्न यह है कि लगभग 2000 अतिथिविद्वान किस प्रकार बिना चॉइस फिलिंग के सेवा में वापस लिया जाएंगे, जिसका ढिंढोरा मंत्री जीतू पटवारी पिछले दो माह से पीटते आ रहे है। कड़वा सच यह है कि चॉइस फिलिंग के बाद भी लगभग 2000 अतिथिविद्वानों को सरकार बेरोजगार करने जा रही है।
गणतंत्र दिवस के हर्षोल्लास के बीच अतिथि विद्वानों के सामने रोज़ी रोटी का संकट
एक ओर पूरा देश गणतंत्र दिवस की खुशियाँ माना रहा है। चहुँओर हर्षोल्लास के स्वर सुनाई दे रहे है, किन्तु इस प्रदेश का एक अभागा उच्च शिक्षित वर्ग अतिथिविद्वानों का भी है जो इस खुशी के मौके पर भी अपने अनिश्चित भविष्य की।चिंता में बेहाल है। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार भारत का संविधान पूरे देश मे लागू है लेकिन मध्यप्रदेश का अतिथिविद्वान अपने अधिकार के लिए आज भी संघर्षरत है जबकि प्रदेश सरकार संवेदनहीन एवं मूकदर्शक बनी हुआ है। लगभग 50 दिनों से जारी आंदोलन में ठंड में ठिठुरती महिलाओं तथा छोटे छोटे बच्चों की पीड़ा सत्ता के सिहांसन में बैठे लोगों को नही दिख रही है। जबकी इन्ही जनप्रतिनिधियों को सत्ता के राजप्रासाद तक पहुँचाने में अतिथिविद्वानों ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था।