SDO की बेटी आरती अहिरवार कैसे बनी हनी ट्रैप वाली आरती दयाल, पढ़िए पूरी कहानी | MP NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश के सबसे हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले में गिरफ्तार की गई सभी लड़कियों की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। सबसे ज्यादा मोड़ आरती दयाल की कहानी में है। एक द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी की बेटी कब और कैसे इस गंदे दलदल में फंसती चली गई पता ही नहीं चला। पिता की आंख तो तब खुली जब अखबारों में उन्होंने अपनी बेटी का फोटो देखा। आरती दयाल का परिवार आज भी छतरपुर में उसी पते पर रहता है। समाज में परिवार का सम्मान है परंतु इस खुलासे के बाद लोगों की परिवार के प्रति सहानुभूति भी बन गई है।

गिरफ्तारी से पहले तक आरती के पिता को पता ही नहीं था, उनकी बेटी क्या करती है

इंदौर में पुलिस ने सबसे पहले आरती दयाल और उसकी साथी मोनिका यादव को गिरफ्तार किया था। बाद में मोनिका यादव के पिता ने आरोप लगाया कि आरती दयाल ने उनकी बेटी का ब्रेनवाश किया था। मोनिका जब नाबालिग थी तभी उसे इस गंदे दलदल में खींच लिया था। आरती दयाल का असली नाम आरती अहिरवार है। उसका परिवार छतरपुर के डेरी रोड पर स्थित कृष्णा कॉलोनी में आज भी रहता है। उसके पिता वृंदावन अहिरवार आरइएस विभाग में एसडीओ के पद पर पदस्थ हैं। परिवार के लोगों के संपर्क में वह जेल जाने से पहले तक थी लेकिन इन कामों के बारे में वह परिवार से कभी जिक्र नहीं करती थी। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इसके छतरपुर वाले घर पर भी दबिश दी थी।

पुलिस अधिकारी बताता था किसका वीडियो बनाना है, कितने पैसे मांगना है

वहीं, तत्कालीन टीआई को पता था कि हनीट्रैप गिरोह प्रदेश के नेता, अफसर और बिजनेसमैन का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर रहा है लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। उलटे टीआई गिरोह को यह समझाता था कि किससे कितने रुपये वसूलने हैं। टीआई ने ही कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी और उसके सहयोगियों से पैसे लेने से मना किया था। उसके बाद आरती ने उन्हें ब्लैकमेल नहीं किया। छतरपुर में आरती टीआई के ही सलाह पर काम करती थी।

इंदौर में जिस क्रेटा कार के साथ आरती पकड़ी गई थी। उसका रजिस्ट्रेशन आरती दयाल के नाम से छतरपुर आरटीओ में है। सीआईडी के चालान के मुताबिक आरती ने ये कार छतरपुर के हुंडई शोरूम के संचालक मनीष अग्रवाल का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर हासिल की। आरती दयाल ने मनीष अग्रवाल का वीडियो सागर लैंडमार्क के प्लैट 112-ए ब्लॉक प्रथम तल में बनाया था। इस कार की रजिस्ट्रेशन बारह सितंबर को हुआ था।

आरती की शादी अनिल वर्मा से हुई थी, पंकज दयाल का सरनेम चुरा लिया

आरती दयाल अपने कागजातों में पति के नाम के रूप में पंकज दयाल का नाम लिखती है। जबकि पंकज ने कहा कि उसकी शादी आरती से नहीं हुई है, बल्कि आरती की शादी 2011-12 में फरीदाबाद के रहने वाले अनिल वर्मा से हुई थी। शादी के बाद उसका नाम आरती वर्मा हो गया था। लेकिन शादी के महज एक साल बाद ही वो अपने ससुराल से भाग गई थी और छतरपुर आकर उसने थाने में अपने पति समेत पूरे ससुराल पर दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवा दिया था, जो अभी कोर्ट में चल रहा है।

पंकज के मुताबिक आरती ने उसे बताया था कि अनिल और उसके परिवार ने उसका जीवन नरक कर दिया था। जिसकी वजह से वह अनिल के साथ नहीं रहना चाहती है और उससे तलाक हो गया है। इस तरह से आरती ने उशकी हमदर्दी का फायदा उठाकर उससे नजदीकियां बढ़ाई और लिव इन में रहने लगी। लेकिन जब पंकज को पता चला कि आरती का तलाक नहीं हुआ है। उसके बाद पंकज की शादी 19 फरवरी 2019 को गुलगंज में होनी थी लेकिन आरती ने अपने राजनीतिक रसूख के दम पर दूसरी शादी करने का झूठा मामला दर्ज करवा दिया। मगर आरती से कभी उसकी शादी नहीं हुई थी।

पंकज दयाल तो कटनी में रहता है, 4 साल से आरती से मिला ही नहीं

लिव इन से अलग हुए भी दोनों को तीन साल बीत गए थे। केस दर्ज होने के बाद पंकज ने कई साक्ष्य जुटाए, उसके बाद उसकी शादी हुई। आरती से नाता तोड़कर पिछले चार साल से पंकज कटनी में रह रहा है, वहीं दयाल एसोसिएट्स के नाम से अपना बिजनेस चला रहा है।

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