जबलपुर। मध्य प्रदेश के हाई कोर्ट ने एक ऐसे ही तबादला आदेश को स्थगित कर दिया है जिसमें पॉलीटिकल इंटरेस्ट्स दिखाई दिया। मध्य प्रदेश के खंडवा में कार्यरत महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनवाड़ियों की सुपरवाइजर ने याचिका दाखिल कर कलेक्टर तन्वी सुंदरियाल एवं मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव परमजीत सिंह नायक को पार्टी बनाया था। हाई कोर्ट ने दोनों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। महिला कर्मचारी के तबादले पर स्थगन आदेश जारी कर दिया गया।
जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने कलेक्टर एवं कांग्रेस नेता पर लगे आरोपों को संजीदगी से लिया है। श्रीमती जयश्री पंजारे की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग खण्डवा (ग्रामीण) में वह 23 अप्रैल 2015 से सुपरवाईजर के पद पर पदस्थ थीं। आवेदक का आरोप है कि संतोषजनक कार्य करने के बाद भी उनका तबादला 5 जुलाई 2019 को खण्डवा से बैदी किया गया। इसके बाद 23 जुलाई 2019 को जारी संशोधित रिलीविंग आदेश के जरिए आवेदक को भंवरपुरा में ट्रांसफर किया गया। इस आदेश को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां से उसके मामले पर पुनर्विचार के निर्देश 6 सितंबर को दिए गए। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि खण्डवा कलेक्टर तन्वी सुंदरियाल 15 नवम्बर को एक नया आदेश जारी करके उनके पुराने ट्रांसफर और रिलीविंग आदेश को यथावत रखा।
शैलश्री चौरे के लिए कलेक्टर और कांग्रेस नेता ने जयश्री पंजारे का नियम विरुद्ध तबादला किया
आरोप है कि ये कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण तरीके से इसलिए की गई, क्योंकि याचिकाकर्ता के स्थान पर खण्डवा में ही पदस्थ शैलश्री चौरे को लाने मप्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव परमजीत सिंह नारंग (पट्टू भैया) का दवाब था। आरोप यह भी है कि याचिकाकर्ता के तबादले के लिए परस्पर पदपूर्ति को वजह बताया गया, जबकि ऐसी कोई मंशा उन्होंने कभी भी नहीं जताई थी। कलेक्टर द्वारा दुर्भावनापूर्ण तरीके से की गई कार्रवाई को चुनौती देकर यह याचिका दायर की गई। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुबोध कठर ने दलीलें रखीं। सुनवाई के बाद अदालत ने मामले को संजीदगी से लेते हुए याचिकाकर्ता के तबादले पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए।