रायपुर। भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम को उपभोक्ता फोरम ने झूठा वादा करने का दोषी पाया है। एलआईसी की वेल्थ प्लस स्कीम के तहत उपभोक्ता से 3 साल में ₹300000 जमा कराए गए वादा किया था कि 8 साल में 13.40 लाख रुपए दिए जाएंगे परंतु ₹300000 प्रीमियम जमा कराने के बाद जब 8 साल पूरे हुए तो कंपनी ने मात्र 1.92 लाख रुपए प्रदान किए। मामला उपभोक्ता फोरम के पास पहुंचा। फोरम ने कंपनी को दोषी पाया है।
मामला धमतरी का है। पुराना बाजार चौक कुरूद निवासी गौरीशंकर शुक्ला ने भारतीय जीवन बीमा निगम के खिलाफ वेल्थ प्लस बीमा का भुगतान नहीं करने का केस उपभोक्ता फोरम में लगाया। उन्होंने बताया बीमा कंपनी से उनसे 3 लाख में 13 लाख रुपए की पॉलिसी खरीदी। बीमा की पॉलिसी समाप्त होने के बाद सिर्फ 1.92 लाख रुपए ही दिए गए। बाकी की राशि नहीं देने पर उन्होंने उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर की। एक साल बाद न्याय मिला और उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को गौरीशंकर को जमा राशि के साथ 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का फैसला सुनाया।
भारतीय जीवन बीमा निगम ने 2010 में वेल्थ प्लस बीमा योजना शुरू की। इसमें सालाना एक लाख रुपए प्रीमियम की दर से पहले तीन साल में तीन प्रीमियम 3 लाख रुपए जमा करने पर आठवें साल में 13 लाख 40 हजार देने की जानकारी दी गई। एजेंट भारतभूषण पंचायन ने योजना की जानकारी गौरीशंकर को दी। इससे प्रभावित होकर गौरीशंकर ने पॉलिसी खरीद ली। 30 अप्रैल 2010 से बीमा शुरू करा दिया। तीन साल तक 3 लाख रुपए जमा भी किए। योजना 30 अप्रैल 2018 को समाप्त हुई। इसके बाद पॉलिसी धारक को 13.40 लाख मिलने थे। उन्हें मात्र 1 लाख 92 हजार 851 रुपए ही दिए गए।
गौरीशंकर ने बीमा कंपनी के क्षेत्रीय प्रबंधक पर पॉलिसी का दावा भुगतान ब्याज सहित करने आवेदन दिया, लेकिन उन्होंने भुगतान नहीं किया। गौरीशंकर ने 15 अक्टूबर 2018 को उपभोक्ता फोरम में केस लगाया।