माननीय मुख्यमंत्री महोदय, मेरा नाम स्नेहा सिंह है मुझे आपकी मदद चाहिए। हम उत्तर प्रदेश के रहने वाले है बलिया जिला के। भोपाल में हम 35 साल से रह रहे हैं। मेरे पिता जी कोतवाली थाना क्षेत्र के आज़ाद मार्केट में लगने वाले सब्जी फल के ठेलो कि चौकीदारी करते थे। 30 साल से हर रोज सारे ठेले बंद होने के बाद उनकी ड्यूटी चालू होती थी। कबीर दस बजे वो घर से चले जाते थे अपने काम पर। 16/10/2019 को भी मेरे पिता जी हमेशा की तरह अपने काम पर गए। करीब पौने पांच बजे मेरे छोटे भाई का मोबाइल बज रहा था। वो दूसरे कमरे में सो रहा था। उसका फोन मेरे कमरे में रखा था। मेरी नींद खुली, उसके फोन बजने से में उठी और उसका फोन देखा तो मेरे पिताजी के नंबर से फोन आ रहा था।
मैने उठाया तो कोई और बात कर रहा था। मुझसे कहा कि में कोतवाली थाने से बोल रहा हूं आपके पिता जी को चोट लगी है। हमीदिया हॉस्पिटल आ जाएं। मेरी आवाज़ सुन कर मेरी मां उठ गई और पूछने लगी क्या हुआ। मैने अपने भाई को उठाया और उसको जल्दी हॉस्पिटल भेजा फिर में और मेरी मां पांच मिनिट में हम भी हॉस्पिटल के लिए निकल गए। घर के नीचे आज़ाद मार्केट के दो लोग खड़े थे। उन्होंने कहा कि पुलिस वालो को फोन आया था। तुम्हारे पिताजी को हमीदिया हॉस्पिटल ले कर गए हैं। एक स्कटी से था। हम उसके साथ बैठ कर गए। हास्पिटल पहुंचे, वहां देखा तो तीन चार पुलिस वाले खड़े थे। उन्होंने हमें तब भी कुछ नहीं बताया। पूछने पर मेरे भाई एक साइड ले कर गए और उससे कहा कि तुम्हारे पिता जी अब नहीं रहे। उनके सर पर बहुत गहरी चोट से मृत्यु हो गई।
मेरे भाई ने हमें आकर बताया। पुलिस वाले हमसे पूछते कि कोई उनका दुश्मन था। किसी से कोई बात थी, जो ऐसा हुआ है। हमने कहा हमारे पिताजी बहुत सीधे इंसान थे। उन्होंने तो पुलिस वालो की बहुत मदद भी की है। पुलिस वालो हमें हॉस्पिटल में रुकने नहीं दिया। हमें घर छोड़ दिया। हमने अपने पहचान वालों को फोन कर के बताया। वो सब हॉस्पिटल गए और कुछ घर। मेरे भाई ने उस समय की तस्वरें दिखाई। मेरे पिताजी की आज़ाद मार्केट में सुलभ शौचालय के बुरी अवस्था में थे। उनके सर के पीछे की हड्डी टूट हुई थी। बहुत सारा खून बह रहा था उनकी नाक से। उनके सर से। कान से। उनके कपड़े में खून खून हो रहा था। तस्वीर में उनका हाथ टूटा दिख रहा था। मेरे पिता जी का पोस्टमार्टम हुआ और उन्हें दिन में तीन बजे घर लाया गया।
मेरा भाई कोतवाली थाने में रिपोर्ट के लिए गया। पुलिस वाले ऐक्सिडेंट बता रहे थे। फोटो को देख कर कहीं से नहीं लगता की वो ऐक्सिडेंट है। ऐक्सिडेंट से ऐसी चोट नहीं लगती है। हम अगले दिन 18/10/2019 को अपने गांव चले गए अपने पिताजी के पूजा के लिए। हम वहां से 4/11/2019 को वापस आए। हम थाने गए। पुलिस ने हमारे बयान लिया और कहा हम अब जांच शुरू के रहे है। जब हम गांव में थे तब पुलिस को फोन कर के पूछ रहे थे कि कुछ पता चला तो उन्होने कहा कि आप भोपाल आए फिर बताएंगे। हम जब उनके पास गए उन्होंने कुछ नहीं बताया और कहा कि सारी रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा।
हमने पूछा कि वहां कहीं कैमरा तो लगा होगा। कुछ तो दिखा होगा। तो उन्होंने कहा कि एक कैमरे में देखा उसने कुछ नहीं दिखा और जहां ये घटना हुई वहां कहीं कैमरा नहीं लगा। जब भी हम पुलिस वालो के पास जाते है तो बोलते है की ढूंढ़ रहे कुछ पता नहीं चल पा रहा। आज 21/12/2019 तीन महीने हो गए। कुछ पता नहीं चल पाया है। ये हादसा 17/10/2019 रात 3:30 बजे के आस पास हुआ है। मेरे पिता जी का नाम देवेंद्र नाथ सिंह है। उनकी उम्र 55 साल थी। उनकी पत्नी का नाम सोनी सिंह है। हम तीन संतानें है। में स्नेहा सिंह सबसे बड़ी बेटी मुझसे छोटा भाई रोहित सिंह और उससे छोटी बहन रोशनी सिंह।
सीएम सर, कृपया पुलिस से कहिए, वो मेरे पिताजी के हत्यारों की तलाश करें। (neha.fb38@gmail.com)