नई दिल्ली। यदि किसी उम्मीदवार के हाथों उस समय कोई अपराध हो गया है जबकि वो नाबालिग था तो इस आधार पर उसे 'आपराधिक रिकॉर्ड' वाला उम्मीदवार मानकर सरकारी नौकरी के अयोग्य नहीं किया जा सकता। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में एक मामला आया जिसमें सीआईएसएफ के सब इंस्पेक्टर के पद पर आवेदक रमेश विश्नोई का सिलेक्शन हुआ, लेकिन पुराने रेकॉर्ड में आपराधिक केस दर्ज होने के आधार पर केंद्र सरकार ने नौकरी नहीं दी। हाईकोर्ट ने नौकरी देने के लिए आदेशित किया तो भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि मौजूदा मामले में यह तथ्य सामने है कि जब अपराध हुआ और आरोप तय हुआ तब आवेदक नाबालिग था। वह मामले में बरी हुआ।
अगर आरोप सही भी पाया जाता तो भी नौकरी के आड़े यह बात नहीं आती क्योंकि जब अपराध हुआ था तब वह नाबालिग था और मामला खास परिस्थितियों वाला नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेजे एक्ट (जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 की धारा 3 के क्लाज़ xiv) कहता है कि अगर नाबालिग दोषी भी करार हो जाए तो भी उस दाग को मिटा दिया जाना चाहिए ताकि उस पर बाद में स्टिगमा न रहे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें उक्त शख्स को नौकरी पर रखने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।