अतिथि विद्वान: मुख्यमंत्री ने नहीं सुनी तो भैंस के आगे बीन बजाई, 5वा दिन | ATITHI VIDWAN NEWS

भोपाल। राजधानी भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क में प्रदेश भर के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण का वचन पूरा करने के लिए चल रहा आंदोलन और आमरण अनशन लगातार 5वें दिन भी जारी है। सरकार की तरफ से आज भी कोई सकारात्मक संदेश नहीं आया। नाराज अतिथि विद्वानों ने भैंस के आगे बीन बजाकर अपना गुस्सा जताया।

विदित हो कि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में पिछले दो दशकों अध्यापन कार्य कर रहे अतिथिविद्वानों को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा चुनावों के पूर्व अपने वचनपत्र की कंडिका 17.22 अनुसार नियमितीकरण का वचन दिया था। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया ने कहा है कि सरकार की अतिथिविद्वानों की समस्याओं के प्रति इतनी उदासीनता चिंताजनक है।अतिथिविद्वानो ने अपने अथक प्रयासों से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाने में अपनी महती भूमिका निभाई थी। हमें विश्वास था कि कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना वचन पूरा करेंगे किन्तु सरकार गठन के एक वर्ष का समय बीत जाने के बावजूद सरकार इस ओर उदासीन ही दिखाई दे रही है।

भैंस के आगे बीन बजाकर जताया विरोध

धरनास्थल पर मौजूद अतिथिविद्वानों ने सरकार द्वारा लगातार नियमितीकरण की मांग को अनसुना करने के विरोध में भैंस के आगे बीन बजाकर अपना रोष और विरोध व्यक्त किया। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि हमने सरकार तक अपनी बात पहुचाने की हरसंभव कोशिश की किन्तु लगातार पैदल चलने एवं पिछले कई दिनों से आमरण अनशन कर रहे हमारे साथियों की सुध लेने वाला कोई नही है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिती है।

अतिथि विद्वानों का अनशन जारी है


मोर्चा के डॉ आशीष पांडेय के अनुसार अतिथिविद्वानों के आंदोलन के साथ पिछले 5 दिनों  से कई महिलाएं और पुरुष साथी लगातार अनशन में बैठे हैं। कुछ महिला अतिथि विद्वानों की हालत भी बिगड़ी है किन्तु आज तक शासन प्रशासन से कोई भी प्रतिनिधि उनकी खोज खबर लेने नही पहुँचा है। 

समाज सेवी संस्था गाँधीआलय विचार मंच भोजन और कंबल उपलब्ध कराए

अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के डॉ जेपीएस चौहान ने कहा है कि पिछले कई दिनों से आंदोलनरत अतिथिविद्वानों के लिए गाँधीआलय विचार मंच किसी फरिश्ते के समान आमने आया और उसने कड़ाके की ठंड में ठिठुरते अतिथिविद्वानों को न सिर्फ कंबल इत्यादि उपलब्ध करवाए बल्कि हमारे लिए लगातार भोजन उपलब्ध करवाया है। यह बहुत बड़ी मानव सेवा है जिस के हज़ारों अतिथि विद्वानों को लाभ हुआ है।

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