भोपाल। 31 मार्च 2020 तक के लिए कलेक्टर गाइडलाइन जारी हो जाने के बावजूद कमलनाथ सरकार ने अचानक भोपाल के 44 क्षेत्रों में प्रॉपर्टी के दाम बढ़ा दिए। मंत्रालय की तरफ से आनन-फानन प्रस्ताव मंगवाए गए और फिर आदेश जारी कर दिए गए। केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की तरफ से जारी हुए आदेश सोमवार से लागू हो गए। बता दें कि इसी साल कमलनाथ सरकार में प्रॉपर्टी के दाम 20% कम किए थे।
जून में कमलनाथ सरकार ने घटाई थे प्रॉपर्टी के दाम
दरअसल इस साल कलेक्टर गाइडलाइन में पंजीयन विभाग के अफसरों ने शहर की 92 लोकेशन के लिए सर्वे किया था। पहले तो अफसरों ने करीब 200 कॉलोनियों में 33% तक दाम बढ़ाने का प्रस्ताव जिला मूल्यांकन समिति की बैठक में पेश कर दिया लेकिन जनप्रतिनिधियों के दबाव में प्रस्ताव लौटा दिया गया था। इसके बाद जून में सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर और लोगों को राहत देने के लिए प्रॉपर्टी के दाम 20 फीसदी घटाने का फैसला लिया था।
मध्य प्रदेश के 12 जिलों में अचानक बढ़ा दिए प्रॉपर्टी के दाम
केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड ने वर्तमान प्रॉपर्टी की कीमतों में 20 फीसदी दाम घटाने के आदेश जारी किए थे। साथ ही सभी जिला पंजीयकों द्वारा नई कॉलोनियों को जोड़ने के प्रस्ताव को वापस लौटा दिया था लेकिन पिछले दिनों भोपाल समेत प्रदेश के 12 जिलों के जिला पंजीयकों से नई कॉलोनियों को गाइडलाइन में शामिल करने के प्रस्ताव दोबारा मंगाए गए और मंत्री की अनुशंसा के बाद इसे केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक में रखा गया। यहां से इसे मंजूरी देकर लागू कराने के आदेश भी जारी कर दिए गए।
कमलनाथ सरकार ने कहा था कलेक्टर गाइडलाइन 3 साल के लिए होगी
हर साल एक अप्रैल से नई गाइडलाइन लागू होती है, लेकिन शासन स्तर पर अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि कलेक्टर गाइडलाइन तीन साल के लिए बनेगी या फिर हर साल प्रॉपर्टी की कीमतें तय की जाएंगी। सरकार ने वचन पत्र में कहा था कि प्रॉपर्टी की कीमतें तीन साल के लिए तय होंगी लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं हुए हैं। इसी का नतीजा है कि पंजीयन विभाग के अफसर विसंगति के नाम पर गाइडलाइन में कीमतें बढ़ा देते हैं। इसके चलते शहर के चुनिंदा क्षेत्र में प्रॉपर्टी खरीदना महंगी होती जा रही है।
सिर्फ नई कालोनियों को जोड़ा है, पुरानी कालोनियों के दाम नहीं बढ़ाए
सिर्फ उन कॉलोनियों को गाइडलाइन में जोड़ा गया है, जो पहले रह गई थी। कहीं पर भी प्रॉपर्टी के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। मनु श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, वाणिज्यिक कर विभाग