भोपाल। हाई कोर्ट, जबलपुर ने 23 नवंबर के पश्चात हुए ट्रांसफर को भी प्रतिबंध अवधि के दौरान माना औऱ स्थानांतरण क्रियान्वयन पर स्टे आर्डर जारी कर दिया है। बता दें कि स्कूल शिक्षा द्वारा 15 से 23 नवंबर की अवधि के लिए ट्रांसफर पर प्रतिबंध को शिथिल किया गया था परंतु, 23 नवंबर के बाद भी स्थानांतरण किये गए थे।
सतना, अमरपाटन में पदस्थ श्री विनोद पटेल, कुँजन वर्मा, पन्ना गुन्नौर में पदस्थ श्री मानसर प्रसाद द्विवेदी, सागर केसली में पदस्थ श्री कैलाश व्यास, चिंतामणि जयंत छिंदवाड़ा, मुबीन खान, अमरवाड़ा में पदस्थ श्री सुरेश साहू, बालाघाट खैर लांजी में पदस्थ श्री नरेंद्र बनोटे, चंद्र कुमार बनोटे , इटारसी में पदस्थ श्रीमती सुनीता सिंह, नरसिंहपुर में पदस्थ, पुरुषोत्तम मेहरा का स्थानांतरण, विकासखंड के बाहर 50 से 150 किलोमीटर की दूरी तक किया गया था।
याचिकर्ताओं के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने याचिका में दावा किया कि बैन अवधि में ट्रांसफर के अलावा, कई अन्य बिंदु ट्रांसफर नीति के खिलाफ ट्रांसफर होना इत्यादि शामिल थे। कुछ याचिकाओं में शिक्षा के अधिकार के अधिनियम 2009 का उल्लंघन था, जैसे ट्रांसफर से छात्र शिक्षक का अनुपात, स्कूल का शिक्षक विहीन हो जाना। कुछ शिक्षक शारीरिक विकलांगता से पीड़ित थे। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य व्यक्तिगत आधार,बच्चों की पढ़ाई इत्यादि,सम्मिलित थे।
श्री चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया है ट्रांसफर नीति का क्रियान्वयन कोर्ट द्वारा नही करवाया जा सकता है। सेवा शर्तों का उल्लंघन,आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा जारी नही किया जाना, स्पष्ट रूप से द्वेष पूर्ण, ट्रांसफर ही, कोर्ट द्वारा हस्तक्षेप योग्य होते हैं। यद्यपि कोर्ट ने उदार रुख अपनाते हुए , सक्षम अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे प्रकरण/अभ्यावेदन का निराकरण एक एवं दो महीने की अवधि में करेंगे। उस अवधि में ट्रांसफर आदेश स्टे रहेगा एवं याचिककर्ता ट्रांसफर से पूर्व की शाला में कार्य करेंगे। उपरोक्त निर्देशों के साथ याचिका का निराकरण किया गया है।