नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल हेल्थ प्रोफाइल रिपोर्ट 2019 में खुलासा हुआ है कि सरकार केवल नेता यानी जनप्रतिनिधि और कर्मचारी यानी आईएएस अफसर से लेकर चपरासी तक, के स्वास्थ्य पर बेहिसाब पैसा खर्च करती है परंतु आम आदमी के लिए ना के बराबर खर्चा किया जाता है जबकि बजट में पूरी रकम ऐसे प्रस्तुत की जाती है जैसे वो आम आदमी के लिए ही हो।
हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य पर खर्च के मामले में भारत काफी पीछे है। यूरोप और अमेरिका से तुलना नहीं भी करें तो पड़ोसी देशों में म्यांमार, नेपाल और बांग्लादेश से ही हम बेहतर स्थिति में हैं। भूटान में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर व्यय 67.5, श्रीलंका में 66, इंडोनेशिया में 50 तथा तिमोर में 44.6 अमेरिकी डॉलर है। अमेरिका में यह 8078 तथा ब्रिटेन में 3175 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति है।
केंद्रीय कर्मियों के लिए सीजीएचएस
देश में सरकारी कार्मिकों, श्रमिकों तथा सरकारी योजनाओं के तहत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों, पेंशनरों आदि को सीजीएचएस के जरिये स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं। सीजीएचएस लाभार्थियों पर सरकार प्रति व्यक्ति 9039 रुपये खर्च कर रही है लेकिन ईएसआई के तहत कवर होने वालों पर 516 रुपये ही खर्च होता है। जबकि यह संस्था श्रमिकों के अंशदान से ही संचालित है। इसी प्रकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमार योजना के तहत महज 227 रुपये ही प्रति व्यक्ति सरकार खर्च कर रही थी। इस आकलन में 2016-18 के बीच के आंकड़े शामिल किए गए हैं।
नेताओं के स्वास्थ्य पर बेहिसाब खर्चा
नेताओं के स्वास्थ्य पर सरकारें कितना पैसा खर्च कर देतीं हैं, इसका कोई हिसाब ही नहीं है। पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक पर पैसा खर्च किया जा रहा है। नेताओं के हाथ में होता है कि वो सरकारी खजाने से कितना खर्चा करना चाहते हैं। यदि नेताओं के बीच गुटबाजी ना होती तो सत्तारूढ़ पार्टियों के नेता जुकाम का इलाज कराने अमेरिका जाते।