इंदौर। दिग्विजय सिंह द्वारा मध्यप्रदेश के सांसदों से की गई एक अपील का उल्टा असर नजर आ रहा है। दिग्विजय सिंह ने सांसदों से अपील की है कि केंद्र सरकार से मध्य प्रदेश को मदद दिलाने में भूमिका निभाए। भाजपा सांसदों ने इस पर आपत्ति उठाई है। उनका कहना है कि दिग्विजय सिंह हमें ज्ञान ना दे, अपना ज्ञान कमलनाथ सरकार तक सीमित रखें।
दिग्विजय सिंह ना बताएं हमें क्या करना है
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सांसदों को लिखे पत्र ने एक बार फिर प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। इंदौर से बीजेपी के सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि दिग्विजय पत्र लिखने के बजाए मुख्यमंत्री कमलनाथ से अपने वादे पूरे करने की बात कहें। उन्हें (दिग्विजय) प्रदेश की जनता ने खारिज कर दिया, लिहाजा जिसे नेता को जनता ने नकार दिया है वो प्रदेश के सांसदों को ज्ञान न दे। ये बात ठीक नहीं और वो अपना ज्ञान अपनी सरकार को दें तो अच्छा है। साथ ही भाजपा सांसद ने कहा कि मुझे दिग्विजय सिंह का कोई पत्र नहीं मिला है। हमारा दायित्व हम पूरा कर रहे हैं। प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की सरकार को चुना है इसलिए वे जनता से किए वादे पूरा करें।
दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश के सभी सांसदों से अपील की है
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के सभी 28 लोकसभा के सदस्यों और 10 राज्य सभा के सदस्यों को पत्र लिखकर केन्द्र से राहत राशि दिलाने के लिए एक मंच पर आने की बात कही है। उन्होंने लिखा है कि मध्य प्रदेश के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को लेकर वो जल्द ही पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात करेंगे। दिग्विजय सिंह का कहना है कि इस साल बाढ़ और अतिवृष्टि ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस भयानक त्रासदी से लाखों परिवार प्रभावित हैं। अनुसूचित जाति/जनजाति समेत कमजोर वर्ग के लोग बाढ़ आपदा से प्रभावित हुए हैं। लाखों किसानों की फसलें चौपट हो गईं हैं।
मध्यप्रदेश सरकार ने अपने बजट से फौरी तौर पर राहत पहुंचाने का काम किया है, लेकिन केन्द्रीय अध्ययन दल के दौरे के बाद भी केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय राहत कोष से 6 हजार 621 करोड़ की राहत राशि जारी नहीं की है। साथ ही सड़कों समेत विकास कार्यों के लिए दो हजार 258 करोड़ रुपए अभी तक राज्य सरकार को नहीं दिए हैं। ऐसे में प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य है कि वो प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए केन्द्र सरकार से राशि दिलाने की मांग करें।