BHOPAL-INDORE HIGHWAY का अपग्रेडेशन भी अटका, सरकार के पास फंड ही नहीं है

भोपाल। दो लाख करोड़ के कर्जदार मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के पास अब विकास कार्यों के लिए भी पैसा नहीं बचा है। सरकार ने भोपाल इंदौर फोर लेन को सिक्स लेन मैं बदलने का ऐलान तो कर दिया था परंतु बजट पर बात आकर अटक गई। हालात यह हैं कि अब तक सर्वे भी नहीं शुरू हो पाया है।  ज्ञात हो कि पहले भारतमाला परियोजना के तहत बनने वाले सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे योजना का प्रोजेक्ट निरस्त हो चुका है।

वरिष्ठ पत्रकार श्री राजीव सोनी की रिपोर्ट के अनुसार भोपाल-इंदौर के बीच मौजूदा फोरलेन सड़क की दोनों ओर से चौड़ाई बढ़ाने की प्रक्रिया में राज्य सरकार पर करीब एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का भार आने का अनुमान लगाया गया है। आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही राज्य सरकार के सामने बजट जुटाने की समस्या भी है, इसलिए फिलहाल इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को 'होल्ड" पर रख दिया गया है।

यही कारण है कि सरकार द्वारा अब तक सड़क चौड़ीकरण के लिए प्रारंभिक सर्वे की प्रक्रिया भी शुरू कराने के आदेश जारी नहीं किए गए। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस मार्ग पर चल रहे टोल नाके का वर्ष 2033 तक का एग्रीमेंट है, सड़क चौड़ी करने के पहले टोल कंपनी के साथ नए सिरे से करार करना होगा। इसमें भी कई तकनीकी पेंच आड़े आएंगे।

यहां भी आड़े आई फंड की कमी

भोपाल-इंदौर एक्सेस कंट्रोल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के लिए सितंबर 2018 में पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने 529 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। मौजूदा समय में यह राशि भी सरकार देने की स्थिति में नहीं थी। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से चर्चा के बाद राज्य सरकार को यह प्रोजेक्ट स्थगित करना पड़ा। करीब छह हजार करोड़ रुपए लागत की इस महती परियोजना से पीछे हटने का मुख्य कारण भी आर्थिक तंगी ही रहा, क्योंकि केंद्र ने स्पष्ट कह दिया था कि अपने आय के स्रोतों से ही निर्माण करा लें।

सड़क के लिए हम फंड जुटाएंगे : सज्जन सिंह

लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने 'नईदुनिया' से चर्चा में स्वीकार किया कि भोपाल-इंदौर फोरलेन सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए अभी तकनीकी परीक्षण करा रहे हैं। आर्थिक संकट तो है, लेकिन प्रोजेक्ट के लिए हम फंड जुटाएंगे। आश्वस्त होने के बाद ही निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ स्वयं केंद्र सरकार में सड़क परिवहन मंत्रालय संभाल चुके हैं। उन्हें इस संबंध में अच्छा अनुभव है। उन्होंने इस प्रोजेक्ट के संदर्भ में कई बिंदुओं पर खामी गिनाते हुए फिर से प्रेजेंटेशन तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

केंद्र ने काट दिए सीआरएफ के 800 करोड़

लोनिवि मंत्री ने बताया कि केंद्र ने हमारे सेंट्रल रोड फंड (सीआरएफ) के करीब 800 करोड़ रुपए भी काट लिए हैं। सीआरएफ को बदलकर अब सेंट्रल रोड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (सीआरआईएफ) कर दिया। मप्र को मिलने वाली केंद्रीय सहायता निधि में भी 2700 करोड़ रुपए की कटौती कर दी गई।

वर्मा ने कहा कि यह हमारा अधिकार है, लेकिन प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री गडकरी के बीच अनबन के चलते मप्र का नुकसान हो रहा है। जर्जर हो रहे राष्ट्रीय-राजमार्ग की मरम्मत के लिए भी केंद्र सरकार बजट नहीं दे रही है।
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