भोपाल। आरक्षण का अब उल्टा असर नजर आने लगा है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज एग्जाम में अंतिम चयन सूची आने के बाद बवाल खड़ा हो गया है। इस सूची के अनुसार सामान्य वर्ग श्रेणी में 946 नंबर लाने वाला पुरुष डिप्टी कलेक्टर बन गया जबकि 953 नंबर लाने वाली महिला उम्मीदवार 33% आरक्षण के कारण क्लर्क भी नहीं बन पाई। बता दें कि आरक्षित महिला श्रेणी में कटऑफ सामान्य पूर्व से कहीं ज्यादा था।
महिलाओं की मांग, 33% आरक्षण खत्म करो
महिला उम्मीदवारों ने इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है। उनकी मांग है कि मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को दिया जाने वाला 33% आरक्षण खत्म कर दिया जाए। इस आरक्षण की वजह से सामान्य पुरुष से ज्यादा योग्य होने के बावजूद उन्हें नौकरियां नहीं मिल पा रही हैं।
हाई कोर्ट में याचिका लगाई
मामले में महिला उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई है। जिसको लेकर हाईकोर्ट (High Court) ने MPPSC से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। बताया जा रहा है कि MPPSC महिला और पुरुष उम्मीदवारों की अलग-अलग कटऑफ जारी करता है। महिलाओं के लिए आरक्षित पदों की संख्या पुरुषों से ज्यादा नंबर लाने वाली महिला उम्मीदवारों से भर जाती हैं। तो उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है।
मामले को ऐसे समझिए
मान लीजिए डिप्टी कलेक्टर के 15 पद हैं तो उसमें से 5 महिला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित होते हैं। ये सीटें मेरिट में टॉप 5 महिलाओं से भर जाती हैं। तो सिर्फ उन्हें ही आरक्षण का लाभ मिलता है। महिला उम्मीदवारों का आरोप है कि टॉप करने वाली महिलाओं को भी सामान्य कटऑफ में ना डालकर आरक्षण वाली श्रेणी में डाल दिया जाता है।