नई दिल्ली। समुद्र तल से 19000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध स्थल जिसे 'सियाचिन' के नाम से जाना जाता है। इन दिनों वहां माइनस 30 डिग्री टेंपरेचर है। इन हालातों मेंभारत की रक्षा कर रहे सैनिकों का एक दल बर्फीले तूफान की चपेट में आ गया। तूफान के कारण सियाचिन में हिमस्खलन हुआ और मौसम की इस हमले में भारतीय सेना के 4 जवान और 2 पोर्टर शहीद हो गए।
बीमार साथी सैनिक को अस्पताल पहुंचाने निकले थे
सैन्य अधिकारियों के अनुसार सियाचिन में माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में नियंत्रण रेखा के पास आठ सदस्यीय दल पेट्रोलिंग कर रहा था। दल में सेना के दो पोर्टर भी शामिल थे। सेना की पोस्ट पर बीमार एक साथी को अस्पताल पहुंचाने के लिए यह टुकड़ी निकली थी, लेकिन दोपहर तीन बजे के बाद हादसे का शिकार हो गई।
एवलांच पैंथर्स को सभी जवान गंभीर हालत में मिले
सैन्य सूत्रों के अनुसार उच्च पर्वतीय इलाकों में राहत अभियान चलाने में माहिर एवलांच पैंथर्स को लापता सैनिकों को तलाश में उतारा गया। अभियान में सेना की माउंटेन रेस्क्यू टीम भी शामिल हुई। मशक्कत के बाद सभी को गंभीर हालत में ढूंढ़ निकाला गया। हेलीकॉप्टर से छह जवानों और दो पोर्टरों को सैन्य अस्पताल ले जाया गया। इनमें चार जवान और दो पोर्टर शहीद हो गए। एक अन्य की हालत गंभीर है। आठवें जवान की हालत सामान्य है।
2016 में 10 जवानों की मौत हुई थी
फरवरी 2016 में भी सियाचिन में सेना की एक चौकी के हिमस्खलन की चपेट में आने से सेना के दस जवान बर्फ में दब गए थे। 19 हजार फीट की ऊंचाई पर हुए इस हिमस्खलन से एक जेसीओ समेत नौ सैनिकों के पार्थिव शरीर बर्फ से बरामद किए थे।
हाइपोथर्मिया के कारण गई जान : पीआरओ
डिफेंस कश्मीर कर्नल राजेश कालिया के अनुसार सभी जवानों को समय रहते सैन्य अस्पताल पहुंचा दिया था, लेकिन हाइपोथर्मिया के कारण चार जवानों और दो पोर्टर शहीद हो गए।
क्या है हाइपोथर्मिया
अल्पताप (हाइपोथर्मिया) वह स्थिति होती है जिसमें शरीर का तापमान सामान्य से काफी कम हो जाता है। सामान्य तौर पर शरीर का तापमान 37 डिग्री (98.6 फारनाइट) रहता है। बहुत अधिक ठंडे वातावरण के कारण यह 35 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। इस स्थिति को अल्पताप कहते हैं। सियाचिन में तापमान शून्य से 30 डिग्री से भी नीचे रहता है। ऐसे में वहां शरीर का तापमान तेजी से नीचे गिरता है।
1984 में हुई थी सेना की तैनाती, एक हजार जवान शहीद हो चुके हैं
सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में भारत ने 1984 में सेना की तैनाती शुरू की थी। दरअसल, इस दौरान पाकिस्तान की ओर से सैनिकों को भेजकर यहां कब्जे की कोशिश की गई थी। इसके बाद से लगातार यहां जवानों की तैनाती रही है। अब तक एक हजार जवान शहादत दे चुके हैं।
मालूम हो कि कारकोरम क्षेत्र में लगभग 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर विश्व में सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र माना जाता है, जहां सैनिकों को अधिक ठंड से शरीर के सुन्न हो जाने और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है।
सियाचिन ग्लेशियर को पूरी दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित युद्ध स्थल के रूप में जाना जाता है।सियाचिन ग्लेशियर पूर्वी कराकोरम के हिमालय में स्थित है। इसकी स्थिति भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास उत्तर पर स्थित है। सियाचिन ग्लेशियर का क्षेत्रफल लगभग 78 किमी है। सियाचिन, काराकोरम के पांच बड़े ग्लेशियरों में सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है।