2.75 लाख संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं होगा, अतिथि शिक्षकों की तरह बोनस अंक मिलेंगे

भोपाल। विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने वादा किया था कि संविदा कर्मचारियों को उसी पद पर जिस पर वह काम कर रहे हैं नियमित कर दिया जाएगा। जब तक सरकार सदन में कमजोर रही लगातार अपना वचन दोहराती रही लेकिन आप यू टर्न लेने की तैयारी शुरू हो गई है। योजना बनाई जा रही है कि अतिथि शिक्षकों की तरह संविदा कर्मचारियों को भी सीधी भर्ती हुए बोनस अंक दिए जाएं। बता दें कि मध्य प्रदेश में विभिन्न विभागों में मध्य प्रदेश के 2.75 लाख संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं।

सामान्य प्रशासन विभाग में नियमितीकरण को असंभव बताया

याद दिला देगी सरकार बनने के बाद विधि-विधायी कार्यमंत्री पीसी शर्मा ने वरिष्ठता के हिसाब से खाली पदों पर संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग का कहना है कि यह संभव नहीं है। इसलिए कर्मचारियों को सीधे नियमित करने की बजाय खाली पदों के लिए सीधी भर्ती करने और भर्ती में शामिल संविदा कर्मचारियों को विशेष प्रोत्साहन अंक देकर भर्ती में प्राथमिकता दी जाए।

कमलनाथ ने मंत्रियों की कमेटी बनाई थी

भाजपा की सरकार सिंह सरकार ने संविदाकर्मियों के नियमितीकरण की जो नीति बनाई थी, उसमें भी बीस फीसदी कोटा संविदाकर्मियों के लिए आरक्षित रखा गया था। सत्ता में आने के बाद कमलनाथ सराकार ने संविदाकर्मियों पर विचार करने के लिए मंत्रियों की एक कमेटी भी बनाई गई लेकिन अब तक कोई सार्थक परिणाम नहीं आए हैं। 

सीएम ने कहा दिसंबर तक निपटाओ

इधर, कमलनाथ सरकार ने संविदाकर्मियों को नियमित करने के लिए मुख्य सचिव को दिसंबर तक का वक्त दिया है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी विभागों के खाली पदों की जानकारी बुलाकर अगले महीने तक संविदाकर्मियों का समाधान निकालने का निर्देश दिया है।

विधानसभा में उठ चुका है मामला

संविदाकर्मियों के नियमितीकरण का मामला विधानसभा के बजट सत्र में भी उठ चुका है। विधायक प्रदीप लारिया के सवाल के जवाब में सरकार ने कहा था कि संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण, समयमान वेतनमान और पदोन्न्ति दिए जाने के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

जो शिवराज सरकार ने तय किया था वही होगा

भाजपा सरकार की 5 जून 2018 की संविदा नीति का हवाला देकर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कहा गया कि सीधी भर्ती के पदों पर 20 प्रतिशत पद संविदाकर्मियों से भरे जाने का प्रावधान है। इसके तहत चरणबद्ध तरीके से नियमित नियुक्ति का अवसर एवं नियमितीकरण तक नियमित वेतनमान का 90 फीसदी लाभ देने सहित प्रत्येक वर्ष जनवरी में वेतनवृद्धि मूल्य सूचकांक के आधार पर देने का भी प्रावधान है। इन सारी कार्रवाई के लिए विभागों को संविदा अनुबंध में परिवर्तन करना होगा।

72 हजार की भर्ती हुई है व्यापमं से

संविदाकर्मियों की संख्या को लेकर भी जो स्थिति सामने आई है, उसमें आशा-ऊषा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सहायिका और कार्यकर्ता, किसान मित्र, साक्षर भारत प्रोजेक्ट व बिजली कंपनियों के कर्मचारी सहित इनका आंकड़ा पौने तीन लाख के आसपास है पर व्यापमं की भर्ती परीक्षा या अन्य विभागीय परीक्षा के जरिए जिनकी भर्ती हुई है, उनकी संख्या 72 हजार के आसपास है। इनमें सभी पांच साल पुराने कर्मचारियों की संख्या 26 हजार है, जो सीधी भर्ती होगी, उसमें पांच साल से पुराने लोगों को प्राथमिकता मिलेगी।

अफसर गुमराह कर रहे

इधर, मप्र संविदा कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा कि संविदा कर्मियों के मामले में अधिकारी सरकार को गुमराह कर रहे हैं। सभी की परीक्षा के जरिए भर्ती हुई है, आरक्षण नियमों का भी पालन किया गया है। सरकार प्रोत्साहन अंक भी देती है तो एक लाख पदों पर भर्ती होना है, हमारा कोटा 20 हजार का है, प्रोत्साहन अंक से और ज्यादा को लाभ होगा।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !