ट्रांसफर के लिए होमगार्ड सैनिक सपरिवार आमरण अनशन पर बैठा, सुनवाई नहीं तो आत्मदाह | SHEOPUR MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश के श्योपुर में एक होमगार्ड सैनिक अमर सिंह कुशवाह अपने पूरे परिवार के साथ कलेक्टर कार्यालय के सामने आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। वो अपने घर मुरैना ट्रांसफर चाहते हैं क्योंकि उनकी बेटी 90% दिव्यांग है और उसका इलाज कराना है। होमगार्ड कुशवाह का कहना है कि यदि मांग पूरी नहीं हुई तो वो आत्मदाह कर देंगे। 

गुहार लगा-लगाकर थक चुके हैं

मदद के लिए गुहार लगा-लगाकर थक चुके होमगार्ड जवान अमर सिंह कुशवाह की जब किसी ने सुनवाई नहीं की, तो उन्हें अपनी बेटी की जिंदगी के खातिर कलेक्ट्रेट के बाहर अपने परिवार के साथ आमरण-अनशन पर बैठना पड़ा है। जवान की बेटी आरती कुशवाह जन्म से ही 90 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग है, जो खुद हिल-डुल भी नहीं सकती है। जबकि उसके हाथ-पैर हमेशा अकड़े रहते हैं और आंखे खुली रहती हैं। यही नहीं, वह कुछ बोल भी नहीं पाती। हालांकि अमर सिंह उसका उपचार करवाने में कोई कमी नहीं छोड रहे हैं। बेटी के इलाज के लिए वह अपने हिस्से की दो से तीन बीघा जमीन तक बेच चुके हैं, लेकिन बेटी स्वस्थ नहीं हो सकी है। 

श्योपुर में इलाज नहीं हो सकता

वह होम गार्ड सैनिक हैं और उनकी ड्यूटी श्योपुर जिला पंचायत सीईओ हर्ष सिंह के बंगले पर रहती है। उनकी बेटी की बीमारी इतनी गंभीर है कि उसका उपचार श्योपुर में नहीं हो सकता। इसलिए वह कई बार अपने गृह जिले मुरैना में अपना ट्रांसफर करवाए जाने की गुहार लगा चुके हैं, ताकि ग्वालियर के नजदीक होने की वजह से वह अपनी बेटी का इलाज करवा सके लेकिन उनके अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं।

आर्थिक तंगी बनी परेशानी

गौरतलब है कि होम गार्ड जवानों को 20 से 22 हजार रुपए वेतन मिलता है, जो नियमित न मिलते हुए कभी 10 दिन का तो कभी 15 दिन का वह भी तीन से चार महीने में मिलता है। इससे जवान को आर्थिक तंगी का सामना हमेशा करना पड़ता है। ऐसे हालातों में गंभीर बीमार बेटी का इलाज करवा पाना इस पिता के वश की बात नहीं है। वह मदद की गुहार लगाने के लिए आमरण-अनशन पर बैठ गए हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।

मदद नहीं मिली तो सुसाइड कर लूंगा

बेटी के इलाज के लिए आमरण-अनशन पर बैठे होम गार्ड जवान अमर सिंह कुशवाह का कहना है कि उसकी सुनवाई कोई नहीं कर रहा। वह ट्रांसफर के लिए और आर्थिक मदद के लिए कई बार गुहार लगा चुका है, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही। होमगार्ड जवान का कहना है कि अगर अनशन के बाद भी सुनवाई नहीं हुई तो वह आत्मदाह कर लेगा, क्योंकि वह अपनी बेटी को उपचार के अभाव में मरते नहीं देख सकता।

...जब कलेक्‍टर ने भगा दिया

आमरण-अनशन से पहले होमगार्ड जवान ने जिले के कलेक्टर बसंत कुर्रे से मुलाकात की, लेकिन उसकी सुनवाई करने के बजाए कलेक्टर ने उसे अस्पताल जाने के लिए कहकर वहां से भगा दिया। ऐसे में जवान अपने परिवार के साथ धरने पर बैठा हुआ है। जबकि होम गार्ड विभाग के कमांडेंट राहुल शर्मा से जब इस बारे में बात की गई तो वह जवान के ट्रांसफर के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के यहां प्रस्ताव भेजे जाने की बात कहते हुए बच्ची की हालत को नाजुक बताने लगे। खैर, इस मामले में जिले के कलेक्टर बसंत कुर्रे से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं की।

जवान को ये है उम्‍मीद

जिले के अधिकारी तो इस होमगार्ड जवान की कोई मदद नहीं कर रहे, लेकिन जवान को उम्‍मीद है कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार उसकी मदद करने के लिए जरूर हाथ बढ़ाएगी। हालांकि देखना होगा कि इस जवान की 90 प्रतिशत दिव्यांग बेटी के उपचार के लिए सरकार क्या मदद करेगी और होमगार्ड जवान को कब तक अनशन पर बैठना पड़ेगा।

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