विवेक अग्रवाल के साथ खड़ी हुई IAS एसोसिएशन, EOW पर सीधा हमला, मामला 300 करोड़ के टेंडर का

भोपाल। मध्य प्रदेश आईएएस एसोसिएशन भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विवेक अग्रवाल के साथ आकर खड़ी हो गई है। विवेक अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को फायदा पहुँचाने एचपीई कंपनी को 300 करोड़ का टेंडर दिया जबकि उनकी कंपनी के पास पर्याप्त अनुभव भी नहीं था। बीते रोज इस मामले की जांच करने की बात कही थी।

ईओडब्ल्यू वाले बिना जांच किए शिकायतों को सार्वजनिक क्यों करते हैं

मप्र आईएएस एसोसिएशन ने मुख्य सचिव एसआर मोहंती को पत्र लिखकर ईओडब्ल्यू की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए। एसोसिएशन की अध्यक्ष गौरीसिंह ने पत्र में कहा है कि बिना तथ्यों को परखे जांच एजेंसियां जिम्मेदार पदों पर कार्यरत आईएएस अधिकारियों के बारे में आधी-अधूरी व अधकचरी जानकारी सार्वजनिक कर रहे हैं। बिना सही जांच के केस या शिकायत का ब्योरा शेयर कर दिया जाता है। इस वजह से अधिकारियों का मनोबल गिरता है और उनके निर्णय लेने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

जांच एजेंसियां यह भी नहीं देखतीं कि अधिकारी की छवि पर क्या असर होगा

एसोसिएशन ने यह पत्र एक आईएएस अधिकारी को लेकर लिखा है, जिनके बारे में ईओडब्ल्यू की ओर से शिकायत दर्ज करने की बात कही गई। एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति करते हुए लिखा है कि अफसर जटिल निर्णय लेते हैं, जिसमें कई हितग्राही व आम लोग शामिल होते हैं। ऐसे लोग भी शामिल होते हैं जिन पर अधिकारियों के निर्णय का विपरीत असर पड़ता है। इस कारण वे ऐसे मामलों को अदालत में चैलेंज करते हैं और शिकायतें करते हैं। ऐसे मामलों में जांच एजेंसियां यह भी नहीं देखती कि ऐसी बेवजह की शिकायतों से संबंधित संस्थान या अधिकारी की छवि पर क्या असर पड़ता है। 

मुख्य सचिव एडवाइजरी जारी कर ईओडब्ल्यू को रोके

गौरी सिंह ने हाल ही में अर्बन डवलपमेंट डिपार्टमेंट में रहे एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ हुए एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि यह सही नहीं है। जिस मामले को लेकर ईओडब्ल्यू ने शिकायत दर्ज करने की बात कही है, उस संबंध में अर्बन डेवलपमेंट के प्रमुख सचिव ने अपनी रिपोर्ट शासन को दे दी है कि पारदर्शी तरीके का इस्तेमाल किया गया है। यह आश्चर्यजनक है कि ईओडब्ल्यू के वरिष्ठ अधिकारी ही बिना फैक्ट और तथ्यों की जांच के पब्लिसिटी के लिए जानकारी सार्वजनिक कर रहे हैं। एसोसिएशन ने इस संबंध में मुख्य सचिव से एडवायजरी जारी करने के लिए अनुरोध किया है।

यह रहा पूरा मामला

नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल के कार्यकाल में एचपीई कंपनी को 300 करोड़ का टेंडर मिला था। बीएसएनएल ने भी 250 करोड़ का टेंडर डाला था। एचपीई कंपनी के पास स्मार्ट सिटी बनाने का कोई अनुभव नहीं था। 300 करोड़ का टेंडर मिलने से छह दिन पहले कोलकाता में एचपीई कंपनी और पीडब्ल्यूसी कंसलटेंट कंपनी के बीच एक साथ काम करने का करार हुआ था। मसला ये है कि पीडब्ल्यूसी कंस्लटेंट कंपनी के सीनियर अधिकारी विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव अग्रवाल हैं।

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