अमीर पलायन कर रहे हैं, देश से | EDITORIAL by Rakesh Dubey

नई दिल्ली। देश से कभी गरीब पलायन करते हैं, अब अमीर पलायन कर रहे है | सरकार भी इस विषय पर स्थिर कहाँ है ? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा था कि “अमीरों का दायित्व बनता है कि देश की जरूरतों में अधिक योगदान करें।“ बीते माह उन्होंने अपने कदम को पूरी तरह वापस ले लिया और कंपनियों द्वारा अदा किये जाने वाले आयकर को घटाकर लगभग 33 प्रतिशत कर दिया है। इस उलटफेर से स्पष्ट होता है कि आयकर की दर का आर्थिक विकास पर प्रभाव असमंजस में है। यदि आयकर बढ़ाया जाता है तो इसका प्रभाव सकारात्मक भी पड़ सकता है और नकारात्मक भी।देश में मांग उठ रही है कि व्यक्तियों द्वारा देय आयकर में भी कटौती की जाए।

यह सही है कि आयकर घटाने से करदाता के हाथ में अधिक रकम बचेगी। जैसे करदाता यदि 100 रुपये कमाता है और उसमें से 30 रुपये आयकर देता है तो उसके हाथ में 70 रुपये बचते हैं । यदि आयकर की दर घटाकर 25 प्रतिशत कर दी जाए तो करदाता के हाथ में अब 75 रुपये बचेंगे। वह पहले यदि 70 रुपये का निवेश कर सकता था तो अब 75 रुपये का निवेश कर सकेगा। लेकिन यह जरूरी नहीं कि बची हुई रकम का निवेश ही किया जाएगा। उस रकम को वह देश से बाहर भी भेज सकता है। बताते चलें कि यदि देश में आयकर की दर घटा दी जाए तो भी यह निवेश करने को पर्याप्त प्रलोभन नहीं है | विश्व में कई देश हैं जहां पर आयकर की दर शून्यप्राय है।

देश से अमीर बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं। वे भारत की नागरिकता त्याग कर अपनी पूंजी समेत दूसरे देशों को जा रहे हैं और उन देशों की नागरिकता स्वीकार कर रहे हैं। इसका प्रमुख कारण टैक्स कर्मियों का आतंक है। उनके अनुसार आज करदाता महसूस करता है कि उसे टैक्स कर्मियों द्वारा परेशान किया जा रहा है। मानना है कि वर्तमान सरकार कंप्यूटर तकनीक के उपयोग से आयकरदाताओं और टैक्स अधिकारियों के बीच सीधा संपर्क कम कर रही है जो कि सही दिशा में है ,लेकिन इसके बाद जब जांच होती है अथवा अपील की प्रक्रिया होती है तो करदाता और टैक्स अधिकारियों का आमना-सामना होता ही है। असल बात यह है कि वर्तमान सरकार टैक्स अधिकारियों को ईमानदार और करदाताओं को चोर की तरह देखती है। सरकार का यह प्रयास बिल्कुल सही है कि देश में तमाम उद्यमी हैं जो देश के बैंकों की रकम को लूट कर जा रहे हैं अथवा टैक्स की चोरी कर रहे हैं। लेकिन एक चोर को दूसरे चोर के माध्यम से पकड़ना कठिन ही है। वर्तमान सरकार की दृष्टि में सरकार के कर्मी ईमानदार हैं और करदाता चोर हैं। कंप्यूटर तकनीक से भी जो सुधार किया जा रहा है, उससे कर्मियों का मूल भाव बदलता नहीं दिखता है। परिणाम यह है कि टैक्स के आतंक के चलते देश से अमीरों का पलायन जारी है और मध्यम वर्ग दुखी है।

अमीरों के पलायन का दूसरा प्रमुख कारण जीवन की गुणवत्ता बताया जा रहा है। देश में वायु की गुणवत्ता गिरती जा रही है। वायु के घटिया स्तर के कारण अमीर अपने देश में रहना पसंद नहीं कर रहे हैं।इसी प्रकार ट्रैफिक की समस्या है, जिसके कारण वे यहां नहीं रहने चाहते हैं। इस दिशा में सरकार का प्रयास उल्टा पड़ रहा है। जैसे सरकार ने कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों द्वारा उत्सर्जित जहरीली गैसों के मानकों में हाल में छूट दे दी है, उन्हें वायु प्रदूषित करने का अवसर दे दिया है। इस छूट का सीधा परिणाम यह है कि बिजली संयंत्रों द्वारा उत्पादन लागत कम होगी और आर्थिक विकास को गति मिलेगी। लेकिन उसी छूट के कारण वायु की गुणवत्ता में गिरावट आएगी और देश के अमीर यहां से पलायन करेंगे और विकास दर घटेगी, जैसा हो रहा है|तीसरा बिंदु सामाजिक है। अमीर व्यक्ति चाहता है कि उसे वैचारिक स्वतंत्रता मिले। वह अपनी बात कह सके। लेकिन इस समय में देश में स्वतंत्र विचार को हतोत्साहित किया गया है। जो व्यक्ति सरकार की विचारधारा से विपरीत सोचता है, उसके ऊपर किसी न किसी रूप से दबाव डाला जा रहा है। इन तमाम कारणों से अमीरों को भारत में रहना पसंद नहीं आ रहा है और वह देश से पलायन कर रहे हैं।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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