BHOPAL: पुलिया ढह गई, ट्रक गिरा, स्कूल बस भी निकलती है

Bhopal Samachar
भोपाल। भोपाल में सड़कों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, कांग्रेस के मंत्रियों का दावा है कि वह 15 दिन में भोपाल की सड़कों को एवं वाली के गाल की तरह चमक चकाचक बना देंगे। भाजपा ने इस बयान पर आपत्ति जताई है। इस सारी राजनीति के बीच आज एक बड़ा हादसा हो गया। सूरज नगर इलाके में एक पुलिया उस समय डर गई जब उसके ऊपर से एक ट्रक निकल रहा था। ट्रक भी पुलिया के साथ पानी में जा गिरा। यह वही पुलिया है जिससे हर रोज दर्जनों स्कूल बस निकलती हैं। प्रश्न सिर्फ यह है कि यदि यह हादसा स्कूल बस के गुजरते समय हो जाता तो क्या होता है।

स्कूल बस भी गिर सकती थी

राजधानी भोपाल के सूरज नगर इलाके में बड़ा हादसा हो गया। हादसा उस वक्त हुआ जब सड़क पर जर्जर हो चुकी पुलिया से एक ट्रक गुजर रहा था। जैसे ही ट्रक गुजरा पुलिया के ढहने से वो सीधे भदभदा डैम के पानी में जा गिरा। गनीमत रही कि इस हादसे में ट्रक का ड्राइवर और क्लीनर बाल-बाल बच गए। इस हादसे के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल इसलिए क्योंकि सड़क पर सियासत के लिए मंत्री गड्ढों के साइज नाप रहे हैं, लेकिन जर्जर सड़क और पुलियों को दुरुस्त करने की ओर से किसी का ध्यान नहीं है। जिस जगह भोपाल में हादसा हुआ वहां से रोजाना दर्जनों स्कूल बसें निकलती हैं। अगर पुलिया ढहने के वक्त कोई स्कूली बस वहां से गुजर रही होती तो बड़ा हादसा हो सकता था।

सड़क, गड्ढे और सियासत

बारिश थमने के बाद खराब हुई सड़कों को लेकर मध्य प्रदेश में इन दिनों जमकर सियासत हो रही है। खराब सड़कों का ठीकरा कांग्रेस पूर्व की बीजेपी सरकार पर फोड़ रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस को सरकार बनाए हुए एक साल होने जा रहा है। लिहाजा अब इन्हें दुरुस्त कराना कांग्रेस सरकार की जिम्मेदारी है। सड़कों का जायजा लेने के लिए पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा मंगलवार को पैदल सड़कों पर निकले थे। इस दौरान मंत्रियों ने बिगड़े बोल बोलते हुए सड़कों की तुलना बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के गालों से कर दी थी।

क्या है सड़कों की स्थिति?

बारिश की वजह से पूरे प्रदेश में 4 हज़ार किमी से ज्यादा सड़कें खराब हो चुकी हैं। अकेले राजधानी भोपाल की बात करें तो 65 फीसदी से ज्यादा सड़कें खराब हैं। कुल 4692 किमी सड़कों में से 3 हजार किमी सड़कों की यही स्थिति है। शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण इलाकों के अधिकांश पुल पुलिये जर्जर हो रहे हैं। अकेले राजधानी भोपाल की सड़कों की मरम्मत के लिए 44 करोड़ रुपयों की ज़रुरत है। इन परिस्थितियों में आपदा के मुआवजे के साथ-साथ सड़कों की मरम्मत भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।
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