भोपाल। ADVANCE HIGH TECH COMPANY DELHI (Manufacturer, Supplier) फर्म के मालिक ANIL JINDAL और DEEPAK PANDAY के खिलाफ मध्यप्रदेश के रतलाम में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि इन दोनों ने मिलकर SANTOSH ENTERPRISES को खराब इंट्रीग्रेटेड पैसेंजर इंफॉरमेशन सिस्टम (डिस्पले बोर्ड आदि सामग्री) सप्लाई कर दिए थे।
बता दें कि ADVANCE HI-TECH की ओर से दावा किया जाता है कि वो supreme quality of Train Arrival Departure Display Board ,Glance Display Boards, Multiline Display Board, LED Displays की सप्लाई करते हैं। ADVANCE HI-TECH best quality products and service का वादा भी करती है। मध्यप्रदेश के रतलाम शहर की स्टेशन रोड पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद कंपनी के पार्टनर आरोपित अनिल जिंदल पिता ओमप्रकाश अग्रवाल व दीपक पांडे पिता आरसी पांडे निवासी बहादुरगढ़ जिला झज्जर (हरियाणा) के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 34 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
45 दिन में सप्लाई करना था, 6 माह बाद माल भेजा
पुलिस थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार संतोष इंटरप्राइजेस के महेश अग्रवाल पिता डीपी अग्रवाल निवासी शास्त्रीनगर ने रतलाम रेल मंडल के इंदौर रेलवे स्टेशन पर इंट्रीग्रेटेड पैसेंजर इंफॉरमेशन सिस्टम लगाने का कार्य लिया था। इसके लिए एडवांस हाईटेक कंपनी दिल्ली के पार्टनर अनिल जिंदल व दीपक पांडे को 21 सितंबर 2017 को सिस्टम (आईपीआईएस) खरीदने का आर्डर दिया था। अनिल व दीपक को उक्त सिस्टम 45 दिन में देना थे, परंतु उनकी फर्म द्वारा उक्त माल (सिस्टम) 6 माह में प्रदान किया गया।
इन लोगों के खिलाफ न्यायालय में परिवाद पेश किया गया था
शिकायत के अनुसार जो सामग्री दी गई, वह खराब पाई गई और वर्तमान समय तक सिस्टम चालू नहीं हो पाए। जबकि सिस्टम सामग्री के 44 लाख 86 हजार 803 रुपए फर्म को सामग्री प्राप्त होने के पहले ही भुगतान कर दिए थे। इस संबंध में फरियादी महेश अग्रवाल ने आरोपित अनिल जिंदल, दीपक पांडे के अलावा, आरडीएसओ लखनऊ के डायरेक्टर जनवल जीएम हुसैन, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रजनीश कुमार, ईडी टेलीकॉम डीएस तिवारी व आरडीएसओ नई दिल्ली के डायरेक्टर के खिलाफ विभिन्ना धाराओं में धोखाधड़ी करने का प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई के लिए परिवाद (अभियोग-पत्र) न्यायालय में पेश किया था।
पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद मामला दर्ज किया
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय द्वारा सुनवाई के बाद पुलिस को जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए गए थे। पुलिस ने परिवाद की जांच की। प्रारंभिक जांच में अनिल व दीपक के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाए जाने पर प्रकरण दर्ज किया गया। मामले की विवेचना की जा रही है। विवेचना में आगे आरोपी बढ़ भी सकते हैं।
बंद पड़े सिस्टम को चालू बताकर प्रमाण-पत्र भी जारी कर दिया
परिवाद में कहा गया था कि रेलवे की संस्था आरडीएसओ (रेलवे डिजाइन एंड स्टेंडर आर्गेनाइजेशन, लखनऊ) जिन संस्थाओं को सामग्री सप्लाई करने का लायसेंस देती है यानी अधिकृत करती है, उन्हीं संस्थाओं से सामग्री खरीदना होती है। एडवांस हाईटेक कंपनी भी अधिकृत की गई थी। साथ ही लायसेंसी संस्था द्वारा बनाए मटेरियल का निरीक्षण रेलवे द्वारा जारी कॉल लेटर के अनुसार करके निरीक्षण प्रमाण पत्र दिया जाता है। आरडीएसओ माल की गुणवत्ता का निरीक्षण करती है, उसके निरीक्षण के बाद उक्त माल की डिलीवरी की जाती है। प्रदाय किया गया उक्त मेटरियल (सिस्टम) का सूक्षमतापूर्वक निरीक्षण करने की जवाबदारी भी अधिकारियों की रही है। सामग्री के संबंध में आरडीएसओ निरीक्षण के लिए 21 सितंबर 2017 को पत्र जारी किया था। फरियादी अग्रवाल व रेलवे ने 13 अप्रैल 2017, 20 अप्रैल 2017 व 12 जून 2018 सहित कई बार पत्र लिखे व मौखिक रूप से कहा, लेकिन आरोपितों द्वारा सिस्टम चालू नहीं कराए गए। जबकि संबंधित अधिकारियों ने सिस्टम चालू होने का प्रमाण पत्र 28 फरवरी 2018 को जारी कर दिया था। इस प्रकार अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर धोखा करने की नीयत से अग्रवाल की फर्म को हानि पहुंचाने हेतु खराब सिस्टम सप्लाय किए गए।
अवैध लाभ अर्जित किया
पुलिस के अनुसार परिवाद की अब तक जांच में पाया गया है कि अनिल व दीपक ने अग्रवाल से धन प्राप्त कर अवैध लाभ अर्जित किया और उन्हें हानि पहुंचाई गई। इससे उनकी फर्म को नुकसान हुआ है। जांच में यह भी पाया गया कि अग्रवाल ने सिस्टम चालू करवाने के लिए स्वयं व रेलवे के माध्यम से अनिल व दीपक से कई बार पत्राचार किया, परंतु डेढ़ साल बाद भी सिस्टम चालू नहीं कराए गए। जांच के दौरान आरडीएसओ दिल्ली के डायरेक्टर से जानकारी ली गई तो कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया गया।