यदि आप या आपका परिजन किडनी की किसी बीमारी से परेशान है। किडनी में पथरी हो गई है या फिर उसने काम करना कम कर दिया है। किडनी का क्रिएटिनिन या यूरिया बढ़ गया हो या फिर डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट की ही सलाह क्यों ना दे दी हो। आयुर्वेद में तीन ऐसी दवाओं का उल्लेख है जो मृतप्राय: किडनी को भी दुरुस्त कर देतीं हैं। मजेदार बात यह है कि इन दवाओं का शुल्क 5 रुपए से अधिक नहीं है, लेकिन रोगी के प्रति परिवार का स्नेह और श्रम अनिवार्य है।
किडनी डायलिसिस करवाने वाले रोगियों के लिए चमत्कारी आयुर्वेदिक दवा
गेंहू की घास को धरती की संजीवनी के समान मानी जाती है, जिसे नियमित रूप से पीने से गंभीर रोगी भी स्वस्थ हो जाता है। और इसमें अगर गिलोय का रस मिला दिया जाए तो ये मिश्रण अमृत बन जाता है। गेंहू के जवारों का रस 50 ग्राम और गिलोय (अमृता की एक फ़ीट लम्बी व् एक अंगुली मोटी डंडी) का रस निकालकर – दोनों का मिश्रण दिन में एक बार रोज़ाना सुबह खाली पेट निरंतर लेते रहने से डायलिसिस द्वारा रक्त चढ़ाये जाने की अवस्था में आशातीत लाभ होता है।
किडनी में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ाने का आयुर्वेटिक टिप्स
नीम और पीपल की छाल का काढ़ा रोजाना मात्र सात दिन क्रिएटिनिन का स्तर व्यवस्थित हो सकता है। तीन गिलास पानी में दस ग्राम नीम की छाल और 10 ग्राम पीपल की छाल लेकर आधा रहने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को दिन में 3-4 भाग में बाँट कर सेवन करते रहें।
किडनी में पथरी का आयुर्वेदिक इलाज: गोखरू काँटा काढ़ा
250 ग्राम गोखरू कांटा 4 लीटर पानी मे उबालिए जब पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और गोखरू कांटा फेंक दीजिए। इस काढ़े को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए। शाम को खाली पेट का मतलब है दोपहर के भोजन के 5, 6 घंटे के बाद। काढ़ा पीने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रुटीन पूर्ववत ही रखिए।