जय जगत :50 लोग चल पड़े हैं, गाँधी के रास्ते | EDITORIAL by Rakesh Dubey

नई दिल्ली। भारत में कोई भी घटना अनायास नहीं होती | जैसे इन दिनों 150 वी जयंती के बहाने पूरे देश में कहीं आधे, कहीं अधूरे और कहीं कहीं पूरे मन से भी मोहनदास करमचन्द गाँधी अर्थात महात्मा गाँधी अर्थात बापू (Mohandas Karamchand Gandhi means Mahatma Gandhi means Bapu) को याद किया जा रहा है | इनमें 50 लोग वे हैं जो कल दिल्ली से पैदल कूच कर रहे हैं, साल भर के लिए | ये गाँधी की बात कहेंगे, गाँधी को जियेंगे और भारत ही नहीं ईरान, आर्मेनिया, जार्जिया,बल्गारिया,साइबेरिया, बोस्निया क्रोतिया, इटली और स्वित्झ्र्लैंड में बापू के सिद्धांतों (Bapu's principles in Iran, Armenia, Georgia, Bulgaria, Siberia, Bosnia, Croatia, Italy and Switzerland) का अलख जगाएंगे | 

इन 50 लोगों की अगवाई पी वी राजगोपाल (PV Rajagopal) कर रहे हैं, प्रसिध्द गाँधीवादी सुब्बाराव जी से गाँधीमार्ग में दीक्षित | अधिकांश पैदल चलने वाली यह यात्रा 25 सितम्बर 2020 को जिनेवा में समाप्त होगी | विश्व को गाँधी के संदेश के साथ| एकता परिषद जिसके अंतर्गत यह यात्रा चलेगी, एक गैर राजनीतिक सन्गठन है | दूसरी तरफ गाँधी को “बापू” कहने वाले देश राजनीतिक दल ने अपने दफ्तरों में उन्हें बड़े आदमकद होर्डिंग में समेट दिया है तो महात्मा गाँधी को महात्मा से हुतात्मा बनाने के लिए आरोपित विचारधारा और उसके नजदीकी राजनीतिक दल ने उन्हें मतदान वैतरणी पार करने का औजार बना कर खूब उपयोग किया और आगे भी करने में कोई परहेज नहीं है | कुछ लोग मोहनदास करमचन्द गाँधी को सच्चे दिल से भी याद कर रहे हैं| ये वे लोग हैं, जो गाँधी को समझना चाहते और ख़ास कर वर्तमान वैश्विक सन्दर्भों में |

सच मायने में तो विश्व का हर नागरिक गाँधी जी और उनके द्वारा खींचे गये “शांति”के ब्लू प्रिंट को समझना चाहता है | इस निमित्त आयोजन हो रहे हैं | सच मायने में हर नागरिक में मौजूद गाँधी का कोई न कोई अंश है | यही अंश हर व्यक्ति का एक पृथक गाँधी है | मन में बैठा, लोक में पैठा गाँधी | मन में बसे, अवचेतन में बिराजे इस गाँधी को “सत्याग्रह” से ही समझा जा सकता है | खुद के द्वारा खुद के प्रति सत्याग्रह |

‘‘सत्याग्रह संस्कृत भाषा का शब्द है जो सत्य और आग्रह दो शब्दों से मिलाकर बना है और इसका अर्थ है सत्य के लिए आग्रह करना। सत्य का अर्थ उचित और न्यायपूर्ण होता है और आग्रह का अर्थ है किसी वस्तु को इतनी शक्ति और धैर्य से पकड़ना कि वह वस्तु व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक भाग बन जाए और उस वस्तु की रक्षा के लिए सभी प्रकार के विरोधों को सहन किया जाये। इस प्रकार सत्याग्रह वह कार्य है जिसे एक व्यक्ति न्याय और शक्ति की रक्षा के लिए अनेक कठिनाइयों के होते हुए भी करने को तत्पर रहे।

सत्याग्रह अहिंसा पर आधारित है। इसी वजह से गांधी जी का कहना था कि एक व्यक्ति को सत्य की रक्षा और अत्याचार का विरोध मरते दम तक करना चाहिए, लेकिन इसे करते हुए विरोधी को भी कोई हानि नहीं पहुंचनी चाहिए।’’ ‘‘गांधीवाद में और क्या सर्वमान्य सत्य हैं?’’ ‘‘यही कि हमें विचारों, शब्दों और कार्यों में अहिंसा का पालन करना चाहिए। ईश्वर सभी व्यक्तियों का पिता है और सभी व्यक्ति भाई -भाई हैं। इस कारण हमें सभी को प्यार करना चाहिए।’’ ‘‘गांधीजी ने यह भी तो कहा था कि अगर तुम्हारे गाल पर कोई चांटा मारे तो उसके आगे अपना दूसरा गाल कर दो।’’ ‘‘दरअसल, गांधीवाद का मूल आधार यह है कि हमें असत्य, अत्याचार और शोषण का विरोध प्रत्येक स्थान पर करना चाहिए। हमें दण्ड देने के स्थान पर क्षमा करना सीखना चाहिए। हम अपने आदर्शों की पूर्ति के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए हमेशा तैयार रहें। इसके अतिरिक्त हमें अपने शत्रु से भी प्रेम करना चाहिए और हमें केवल अपने कर्तव्य की पूर्ति करना चाहिए व परिणामों पर विचार नहीं करना चाहिए।’

आपके मन मस्तिष्क में बैठा गाँधीजी का अंश इनमे से कोई भी हो सकता है | एक दूसरे से मेल खाता भी हो सकता है, बेमेल भी हो सकता है | अपने भीतर और अपने सामने मौजूद व्यक्ति या सन्गठन के अंश को पहचानिए पूरी शिद्दत और सत्य के साथ | जो गाँधी मार्ग पर चल रहे हैं उन्हें और जो आगे चलना चाहे सभी को शुभकामनायें |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
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