भोपाल। सत्ता में शामिल लोग खुद को भगवान सा समझने लगते हैंं। भोपाल मेें आबादी की तुलना में वृक्षों की संख्या काफी कम हो गई है और पर्यावरण प्रभावित भी होने लगा है, बावजूद इसके विधायक रेस्ट हाउस के लिए 2500 लहलहाते पेड़ काट दिए गए और ना जाने कितने काटे जाना बाकी है।
भोपाल में अब तक 10 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं
भोपाल में विधानसभा के सामने नया विधायक रेस्ट हाउस बनाया जा रहा है। हरियाली से भरपूर अरेरा पहाड़ी पर ये खड़ा किया जा रहा है। दो साल पहले जब इसका काम शुरू हुआ था तब 1139 हरे भरे पेड़ काट दिए गए थे। तब से अब तक ढाई हज़ार से ज़्यादा पेड़ों की बलि दी जा चुकी है। जो लोग हरे-भरे मध्य प्रदेश के वादे और दावे करते हैं उन्हीं के लिए शहर की हरियाली को उजाड़ दिया गया। इसे मिलाकर अब तक राजधानी के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के लिए 10 हज़ार से ज़्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं।
भोपाल में लगातार घट रहा है वन क्षेत्र
नये एमएलए रेस्ट हाउस के लिए 2015-2016 में अनुमानित लागत 65 से 70 करोड़ थी, जो 2019 में बढ़कर 137 करोड़ रुपए हो गई। भोपाल शहर झील, पहाड़ और हरियाली के लिए जाना जाता है। मगर पिछले कुछ साल से यहां हरियाली का स्तर लगातार घट रहा है। शहर की हरियाली उजाड़ने के पीछे सबसे ज़्यादा हाथ इन ज़िम्मेदारों का ही है। कभी नर्मदा पाइप लाइन, तो कभी BRTS कॉरिडोर और स्मार्ट सिटी के नाम पर शिवराज सरकार के दौरान लाखों पेड़ काटे गए। ताजा उदाहरण न्यू एमएलए रेस्ट हाउस का है। भोपाल विधानसभा के सामने के फॉरेंस्ट एरिया को खत्म किया जा रहा है। तीन साल पुराने इस प्रोजेक्ट में गुपचुप तरीके से हज़ारों पेड़ों को काटा जा चुका है।
पर्यावरण प्रेमियों को फिक्र
पर्यावरण प्रेमियों को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने इसका विरोध किया। तत्कालीन शिवराज सरकार ने इस प्रोजेक्ट को रोक दिया था लेकिन अब फिर से इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। हाल के दिनों में भोपाल में अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के लिए 10000 हजार पेड़ों को पहले ही काटा जा चुका है। अब नया एमएलए रेस्ट हाउस बनाने के लिए हरियाली को नष्ट किया जा रहा है।
माननीयों के लिए तमाम सुविधाएं
भोपाल शहर में पहले से ही विधायकों के लिए रेस्ट हाउस और रेसिडेंशियल हाउस हैं। भोपाल के कई क्षेत्रों में विधायकों के लिए घर और रेस्ट हाउस हैं, जो आज भी अच्छी कडीशंन में हैं। 74 बंगले, 45 बंगले, श्यामला हिल्स, जवाहर चौक, रिवेरा टाउन, शिवाजी नगर, तुलसी नगर, न्यू मार्केट इलाके में पहले से ही विधायक और मंत्रियों के लिए बंगले हैं। नये प्रोजेक्ट्स में रचना टावर में भी 230 विधायकों के हिसाब से फ्लैटस बन कर तैयार हैं। हालांकि यहां सामने श्मशान होने के कारण विधायक यहां रहने के लिए तैयार नहीं हैं।
ग़रीबों के लिए जगह नहीं
विधानसभा परिसर के सामने बन रहे नए रेस्ट हाउस में हाउसिंग फॅार ऑल स्कीम के तहत गरीबों के रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां सिर्फ विधायकों के ही रहने और ठहरने के लिए आवास बन रहे है। जिसमें नियमों को कहीं न कहीं शिथिल किया जा रहा है।
हम सब एक हैं
माननीयों के लिए शहर की हरियाली नष्ट की जा रही है लेकिन मामला खुद के स्वार्थ का है, इसलिए इस मामले में पक्ष-विपक्ष सब एक हैं। मंत्री पी सी शर्मा का कहना है नियम के मुताविक काम चल रहा है। वहीं bjp विधायक रामेश्वर शर्मा कह रहे हैं कि ये विधानसभा अध्यक्ष के कार्यक्षेत्र का मामला है। मतलब साफ है खुद के लिए बन रहे आवासों के लिए जनप्रतिनिधियों को हरियाली उजड़ने से भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा।