महिला बाल विकास के 2 अधिकारियों पर मामला दर्ज करने पत्र लिखा

खंडवा। नवजीवन चिल्ड्रन्स होम संस्था से 50 प्रतिशत कमीशन मांगने के आरोप में निलंबित किए गए महिला बाल विकास की जिला कार्यक्रम अधिकारी अंशुबाला मसीह व सहायक संचालक हरीजिंदर सिंह अरोरा के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए पुलिस ने लोकायुक्त को पत्र लिखा है। 

वाइस रिकार्डिंग में सहायक संचालक अरोरा द्वारा 51 लाख 76 हजार अनुदान राशि में से 50 प्रतिशत कमीशन का मामला है। इसलिए पुलिस भी सीधे तौर पर प्रकरण दर्ज करने से पहले अभियोजन व लोकायुक्त से पत्र व्यवहार कर रही है। नवजीवन चिल्ड्रन्स हाेम की संचालक सिस्टर एमिली की शिकायत पर जांच अधिकारी ने जांच पूरी कर कलेक्टर को प्रतिवेदन पेश किया। जिस आधार पर दोनों अधिकारियों को संभागायुक्त ने निलंबित कर दिया।

उधर निलंबित जिला कार्यक्रम अधिकारी मसीह व सहायक संचालक अरोरा न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं। फिलहाल मामला लोकायुक्त में पहुंच गया है। अगर अाराेप सिद्ध होता है तो प्रकरण भी दर्ज हो सकता है। मामले को लेकर पुलिस अधिकारी भी बयानबाजी से बच रहे हैं, लेकिन लोकायुक्त तक पत्र व्यवहार किया गया है। इस कारण एफआईआर रुक गई है। मामले में एफआईआर की पूरी कोशिश की जा रही है।  

मान्यता समाप्त होने के भय से हमारी शिकायत की

निलंबित महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक हरीजिंदरसिंह अरोरा ने कहा चिल्ड्रन्स होम से दो बच्चों के भागने की घटना के बाद 28 जून 19 को मेरे साथ जिला कार्यक्रम अधिकारी अंशुबाला मसीह, परियोजना अधिकारी पूजा राठौर, पर्यवेक्षक रेणुका यादव, अनिता बिवाल व अन्य कर्मचारियों ने संस्था का निरीक्षण किया था। जिसमें कई तरह की विसंगतियां सामने आई थीं। संस्था में 16 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए। जहां से बच्चे भागे, वहां के कैमरे बंद मिले। संस्था ने वीडियो फुटेज उपलब्ध नहीं कराए। 14 में से 2 कैमरे वहीं खराब निकले, जहां से बच्चे भागे। 

निरीक्षण के बाद सुपरवाइजर से उसी दिन संस्था का रजिस्टर बुलवाया। यह जांच अभी पेंडिंग ही थी कि इसी बीच 3 जून को संस्था का प्रस्ताव आया। तब डीपीओ मैडम छुट्‌टी पर थी। प्रभारी अधिकारी होने के नाते मैंने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए। मेरे द्वारा किसी तरह की मांग नहीं की गई। मान्यता समाप्त होने के भय से संस्था अध्यक्ष ने 1 जुलाई 19 को मेरी शिकायत की।

जांच में संस्था की लापरवाही उजागर हो गई थी

अरोरा द्वारा 50 प्रतिशत कमीशन मांगने की शिकायत के बाद कलेक्टर तन्वी सुंद्रियाल ने जांच समिति बनाई। जिसमें अंशुबाला मसीह, सीएमएचओ डॉ. डीएस चौहान, बीआरसी निलेश रघुवंशी को जांच अधिकारी बनाया गया। तीनों ही अधिकारी जांच के लिए तीन-चार बार चिल्ड्रन्स होम पहुंचे। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज मांगे, लेकिन वहां के फुटेज नहीं दिए, जहां से बच्चे भागे थे। सूत्रों के मुताबिक जांच प्रतिवेदन में संस्था की लापरवाही उजागर हो गई थी। सीएमएचओ व डीपीओ ने प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर कर दिए थे। बीआरसी के हस्ताक्षर बाकी रह गए थे। इस कारण प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं हो सका।

लोकायुक्त का है मामला

विशेष न्यायालय लोकायुक्त मामलों के अधिवक्ता आर.डी. गुप्ता के मुताबिक प्रकरण में स्थानीय पुलिस भी केस दर्ज कर मामला लोकायुक्त को भेज सकती है। मामला वाइस रिकार्डिंग का है। पहले तो यह तय करना होगा कि जिस पर अाराेप लगाया जा रहा है उसकी रिकार्डिंग है भी या नहीं। ऐसे मामलों में लोकायुक्त ही जांच कर प्रकरण दर्ज करें तो बेहतर है।

मैं निर्दाेष हूं- अंशुबाला

निलंबित डीपीओ अंशुबाला मसीह ने कहा मेरे खिलाफ नियम विरुद्ध कार्रवाई की गई है, मैं निर्दाेष हूं, पूरे घटना में कलेक्टर के द्वारा जांच करवाई गई थी। उसमें जांचकर्ता अधिकारी द्वारा मेरे विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं की है। दुर्भावनावश कार्रवाई की गई है।

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