SANJIVANI CREDIT फरार, निवेशकों का पैसा डूबा, 300 ब्रांच 1000 करोड़

इंदौर। SANJIVANI CREDIT COOPERATIVE SOCIETY LIMITED के सभी कार्यालय बंद हो गए। आरोप है कि कंपनी निवेशकों का पैसा लेकर फरार हो गई है। सीएमडी विक्रम सिंह एवं डायरेक्टर किशन सिंह (CMD VIKRAM SINGH and DIRECTOR KISHAN SINGH) के फोन बंद आ रहे हैं। भोपाल समाचार की प्राथमिक जांच में पता चला है कि SANJIVANI CREDIT COOPERATIVE SOCIETY LIMITED के नाम से कोई कंपनी रजिस्टर्ड ही नहीं है। यहां तक कि SANJIVANI CREDIT COOPERATIVE के नाम से भी कोई कंपनी रजिस्टर्ड नहीं है। सोशल मीडिया पर यह कंपनी मार्च तक एक्टिव नजर आई है। 

पत्रकार श्री जितेंद्र यादव की रिपोर्ट के अनुसार तीन साल पहले संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने इंदौर सहित पूरे संभाग में काम शुरू किया था। मोटा ब्याज देने का लालच देकर प्रतिदिन जमा योजना के जरिए पैसा इकट्ठा किया और अपना खजाना भर लिया। करीब 25 करोड़ रुपए लेकर संस्था ने इंदौर सहित संभाग के सभी दफ्तर बंद कर दिए हैं।

खबर आ रही है कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने इंदौर सहित पूरे संभाग सभी कार्यालय बंद कर दिए हैं। संस्था के अभिकर्ताओं और शाखा प्रबंधकों का चैन छिन चुका है, क्योंकि न इंदौर के प्रधान कार्यालय पर कोई मिल रहा है, न ही राजस्थान के डायरेक्टर फोन उठा रहे हैं। संस्था का मुख्यालय राजस्थान के बाड़मेर और जोधपुर में है। सीएमडी और डायरेक्टर भी जोधपुर के हैं।

इंदौर संभाग में संस्था के लगभग 8000 सदस्य और 2500 अभिकर्ता हैं। जनता की जमा पूंजी कैसे वापस आएगी यह बड़ा मुद्दा है। परेशान अभिकर्ताओं और शाखा प्रबंधकों ने मुख्यमंत्री से लेकर संभागायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक और सहकारिता विभाग के संयुक्त आयुक्त को मामले की शिकायत की है।

संस्था संयुक्त आयुक्त जगदीश कनौज ने बताया कि संजीवनी संस्था के अभिकर्ताओं और शाखा प्रबंधकों की विस्तृत शिकायत मिली है और वे बयान देने को भी तैयार हैं। संस्था की जांच के लिए सहायक आयुक्त दीपाली खंडेलवाल के नेतृत्व में पांच अधिकारियों का दल बनाया गया है। राजस्थान और गुजरात में भी संस्था कार्यरत है जो मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव एक्ट में रजिस्टर्ड है। इंदौर में तीन साल पहले इसका पंजीयन हुआ है। जांच के बाद स्थिति साफ होगी।

प्रधान कार्यालय पर ताला, आधे से अधिक शाखाएं भी ठप

इंदौर संभाग में संजीवनी की 18 शाखाएं हैं। इनमें खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, धार, मनावर, कुक्षी, झाबुआ, बदनावर, राजोद, सागौर कुटी, राजगढ़, बड़वाह, गणेशपुरी और विजयनगर सहित इंदौर शहर की राऊ, कालानी नगर और चतुर्वेदी मेंशन की तीन शाखाएं शामिल हैं। इंदौर में एबी रोड पर इंडस्ट्री हाउस के पास कंचन सागर बिल्डिंग में इसका प्रधान कार्यालय है। प्रधान कार्यालय पर करीब एक सप्ताह से ताला पड़ा है। आधी शाखाएं भी बंद हो चुकी हैं, क्योंकि कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है।

बताया जाता है कि राजस्थान और गुजरात में भी संस्था की लगभग 300 शाखाएं हैं। राजस्थान सरकार पहले से संस्था की जांच कर रही है। धार के शाखा प्रबंधक शैलेंद्र माहेश्वरी ने बताया कि हमारे परिवार के करीब नौ लाख रुपए भी संस्था में जमा हैं। हालत यह है कि एक समय खाना खा रहे हैं। राजस्थान की जांच का बहाना बनाकर सभी शाखाओं का फंड और कर्मचारियों का वेतन भी रोक दिया है।

शिकायतकर्ता जितेंद्र शर्मा ने बताया कि राजस्थान के हमारे डायरेक्टरों के नंबर बंद मिल रहे हैं। बाड़मेर के रहवासी और इंदौर में संस्था के जोनल ऑपरेशन एक्जीक्यूटिव महेंद्रसिंह बालना ने बताया कि बाड़मेर का पंजीकृत कार्यालय तो खुला है, लेकिन वहां कोई नहीं बैठ रहा है। जोधपुर कार्यालय किराए पर था, उसका किराया जमा न करने से उसे खाली कर दिया गया है।

वेतन और जमाकर्ताओं के पैसे के लिए हम संस्था के सीएमडी विक्रमसिंह और किशनसिंह से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन कोई नहीं मिल रहा है, न ही वे हमारे फोन उठा रहे हैं।

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