मप्र निर्वाचन आयोग की नोटशीट पर लिखा है 'हिंदी के कारण समय और धन की हानि होती है' | MP NEWS

भोपाल। आज राजभाषा हिंदी दिवस है और देश की अन्य सरकारों की तरह मध्यप्रदेश सरकार भी हिंदी को सम्मान प्रदान करने की औपचारिकता निभा रही है। सूचना का अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे ने कहा कि सूचना का अधिकार से उजागर हुआ है कि मप्र सरकार और संवैधानिक संस्था मप्र राज्य निर्वाचन आयोग ने हिंदी भाषी मध्यप्रदेश मे पंचायती संस्थाओ और नगरीय निकायों मे हिंदी भाषा को समय और धन नष्ट करने का दोषी बताते हुए 2018 मे प्रत्याशियों के नामांकन पत्र मे हिंदी वर्णमाला के अनुसार लिखे जाने वाले नामों को अंग्रेजी भाषा के वर्णानुक्रम से कर दिया। 

आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने बताया कि मप्र की पूर्व भाजपा सरकार और मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने संविधान विरोधी और दुर्भाग्यपूर्ण संशोधन कर भारत निर्वाचन आयोग की स्थापित व्यवस्था को भी नजरअंदाज किया। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव में हिन्दी वर्णमाला के अनुसार ही प्रत्याशियों हेतु नामांकन पत्र उपयोग किये जाते हैं। 

अजय दुबे ने कहा भाजपा सरकार मे हिंदी भाषी मध्यप्रदेश मे चुनाव में हिंदी के कारण समय और धन नष्ट होने के आपत्तिजनक निर्णय लेने वाले पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त परशुराम आज वर्तमान कांग्रेस सरकार मे भी सुशासन स्कूल के मुखिया हैं।  

अजय दुबे ने कहा हम मध्यप्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि आगामी त्रि स्तरीय पंचायत चुनावों और नगरीय निकायों के चुनावो को मद्देनजर रखते हुए तत्काल प्रभाव से हिंदी भाषी मध्यप्रदेश मे हिंदी भाषा को अपमानित करने वाले दोषियों पर कार्रवाई करे और नामांकन पत्रों में पुनः हिंदी वर्णमाला के अनुसार प्रत्याशियों के नाम लिखने की व्यवस्था स्थापित करे। 

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