श्रीगणेश प्रतिमा की सूंड दाईं या बाईं, कौन सी शुभ होती है | GANESH MURTI SUND DAYI YA BAYI

Bhopal Samachar
भगवान श्री गणेश की स्थापना देश के करोड़ों घरों में होगी। लोग स्थापना के लिए सुन्दर प्रतिमा का चयन करते हैं। लाखों लोग इस सवाल में उलझे रहते हैं कि श्रीगणेश प्रतिमा में सूंड दाईं और बाईं क्यों होती है। इनमें से कौन सी शुभ होती है और कौन सी अशुभ। यह सवाल भी कभी शायद आपके मन में आया होगा कि सीधी सूंड वाले गणेश भगवान की प्रतिमा क्यों नहीं दिखती है। वह इतनी दुर्लभ क्यों होती हैं। अगर आपके मन में भी यही सवाल हैं, तो आज आपको इनके जवाब मिल जाएंगे।

गणेश प्रतिमा की दाईं और बाईं सूंड का रहस्य क्या है

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी (AIFAS) के कानपुर चैप्टर के चेयरमैन और इसी संस्था के यूपी के गवर्नर पंडित शरद त्रिपाठी ने बताया कि गणेश जी को इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही वक्रतुण्ड कहा जाता है। मान्यता है कि गणेश जी की दक्षिणावर्ती मूर्ति यानी जिसमें सूंड दाईं और मुड़ी हो, उसकी विधिवत उपासना करने से अभीष्ट फल मिलते हैं। गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं में सूर्य का प्रभाव माना गया है।

गणेश जी की दाईं सूंड से क्या अभिष्ट फल प्राप्त होता है


प्राय: गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाओं से दिखती है। जब सूंड दाईं ओर घूमी होती है, तो इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है। ऐसी प्रतिमा का पूजन विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है। 

गणेश जी की बाईं सूंड से क्या संकेत होता है


बाईं ओर मुड़ी सूंड वाली मूर्ति को इड़ा नाड़ी और चंद्रमा से प्रभावित माना गया है। ऐसी मूर्ति की पूजा स्थायी कार्यों के लिए की जाती है। जैसे शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य और पारिवारिक खुशहाली आदि के लिए।

सीधी सूंड वाली गणेश प्रतिमा की पूजा से क्या फल मिलता है


पंडित शरद त्रिपाठी ने बताया कि सीधी सूंड वाली मूर्ति का सुषुम्रा स्वर माना जाता है और इनकी आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुंडलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। संत समाज ऐसी ही मूर्ति की ही आराधना करता है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं ओर सूंड वाली मूर्त है, इसीलिए इस मंदिर की आस्था और आय शिखर पर है।

घरों में किस तरह की गणेश प्रतिमा की स्थापना करना चाहिए


कुछ विद्वानों का मानना है कि दाई ओर घुमी सूंड के गणेशजी शुभ होते हैं, तो कुछ का मानना है कि बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ फल प्रदान करते हैं। हालांकि, कुछ विद्वान दोनों ही प्रकार की सूंड वाले गणेशजी का अलग-अलग महत्व बताते हैं। यदि गणेशजी की स्थापना घर में करनी हो तो दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ होते हैं। दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं।

गणेश प्रतिमाह से वास्तु दोषों का नाश होता है

कहा जाता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें, तो वह कार्य सफल होता है और शुभ फल प्रदान करता है। AIFAS के यूपी के गवर्नर पंडित शरद त्रिपाठी ने बताया कि इस तरह की मूर्ति की अपासना से घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है और वास्तु दोषों का नाश होता है।

घर के दरवाजे पर किस तरह की गणेश तस्वीर लगाएं

घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है। यहां बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए, क्योंकि वह विघ्नविनाशक कहलाते हैं। इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है। घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नकारात्मक ऊर्जा वहीं रुक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!