सरकारी या स्थाई नौकरी, देश की सबसे बड़ी चिंता: सर्वे के नतीजे | India's biggest concern

धारा 370 को हटाए जाने से देश उत्साहित है। युवाओं को पीएम नरेंद्र मोदी पर भरोसा भी है और वो आश्वस्त हैं कि उनका वोट बेकार नहीं गया लेकिन एक चिंता है जिसमें सारा देश घुल रहा है और वो है सरकारी या स्थाई नौकरी की चिंता। युवाओं को नौकरियां तो मिल रहीं हैं परंतु स्थायित्व की स्थिति नहीं है। अस्थिरता उन्हे डराती है और समझौते व गैरकानूनी काम में प्रबंधन का साथ देने के लिए बाध्य करती है। 

आजतक-कार्वी इनसाइट्स द्वारा किए गए 'देश का मिजाज' सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों के लिए पिछले पांच साल की तरह इस साल भी सरकारी नौकरी चिंता की बात रही है। सर्वे में शामिल 35 फीसदी लोगों ने इसे सबसे बड़ी चिंता बताई है। आजतक द्वारा किए गए  'देश का मिजाज' सर्वे में 16 फीसदी लोग किसानों की दुर्दशा, 11 फीसदी लोग भ्रष्टाचार और 10 फीसदी लोग महंगाई को सबसे बड़ी चिंता बताते हैं। सर्वे में शामिल 46 फीसदी लोग यह मानते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में नौकरियों के सृजन के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। हालांकि 39 फीसदी लोग ऐसा नहीं मानते और 15 फीसदी लोगों ने इसके बारे में कुछ नहीं कहा।

आजतक और कार्वी इनसाइट्स ने इस सर्वे के लिए 12,126 लोगों का साक्षात्कार किया, जिसमें 67 फीसदी ग्रामीण और 33 फीसदी शहरी लोग शामिल थे। इस सर्वे में देश के 19 राज्यों के 97 संसदीय क्षेत्रों और 194 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया। यह सर्वे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने से पहले कराया गया था।

गौरतलब है कि रोजगार के मोर्चे पर मोदी सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रही है। तमाम आकंड़े पेश कर विपक्ष ने यह बताने की कोशि‍श की है कि मोदी सरकार रोजगार के मोर्चे अपने लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रही है। हालांकि इस बारे में आए तमाम आकंड़े मिली-जुली तस्वीर पेश करते हैं।

कुछ आंकड़ों में कहा गया कि जॉब के मोर्चे पर संकट है, तो कुछ से यह संकेत मिला कि जॉब क्रिएशन में तेजी आई है। औपचारिक सेक्टर में नौकरियों के सृजन के बारे में जानकारी देने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर 2017 के बाद के समय में जनवरी 2019 में नौकरियों के सृजन की गति सबसे तेज रही है। हालांकि, आलोचकों का यह भी कहना है कि ईपीएफओ के आंकड़ों को नौकरियों के सृजन या कटौती का पैमाना नहीं माना जा सकता।

ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार, औपचारिक क्षेत्र में जनवरी 2019 में कुल 8.9 लाख नौकरियों का सृजन हुआ है जो 17 महीने का उच्चतम स्तर है। दूसरी तरफ, नेशनल सेम्पल सर्वे ऑफिस के कथित रूप से लीक हुए आंकड़ों के मुताबिक साल 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर 6 फीसदी से ज्यादा हो गई, जो 45 साल का सबसे ऊंचा स्तर है।

रोजगार बढ़ाने के लिए क्या हैं उपाय

इस बारे में बहस का परिणाम जो भी बेरोजगारी देश के लोगों की एक प्रमुख चिंता बनी हुई है। 'देश का मिजाज' सर्वे में जब लोगों से यह पूछा गया कि नौकरियों के सृजन के लिए मोदी सरकार को क्या करना चाहिए, तो 48 फीसदी लोगों ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार बढ़ाना चाहिए। सर्वे में शामिल 22 फीसदी लोगों का कहना था कि सरकार को इसके लिए निजी क्षेत्र को टैक्स छूट जैसे प्रोत्साहन देना चाहिए। 20 फीसदी लोगों का मानना था कि स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना चाहिए।

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