इंदौर। GST घोटाले का ताना-बाना बुनने वालों के कारण चर्चा में आई मिनर्वा ऑटोमोटिव्स कंपनी (Minerva Automotives Company) के लोन घोटाले (Loan scam) में भी नई जानकारी पता चली है। घोटाले को अंजाम देने और बैंक का लोन हजम करने दोनों के लिए एक ही तरकीब आजमाई गई। दूसरों के नाम पर बनी फर्म और कंपनियों का इस्तेमाल करके जिस तरह जीएसटी के बोगस बिल बनाए गए, उसी तरह दूसरे की फर्म का इस्तेमाल कर बैंक लोन को भी ठिकाने लगा दिया गया। लोन का पैसा जिस फर्म के खाते में बैंक से डलवाकर हेरफेर किया गया, असल में उस फर्म को उसके मालिक से किराए पर लिया गया था।
पीथमपुर की मिनर्वा ऑटोमोटिव्स प्रालि को इलाहाबाद बैंक ने एक करोड़ 70 लाख रुपए का लोन स्वीकृत किया था। बैंक कंपनी को डिफॉल्टर घोषित कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर चुका है। जीएसटी घोटाले में आरोपित बने देवेंद्र शर्मा की पत्नी और कंपनी संचालक मीनाक्षी शर्मा ने कंपनी के लोन की हेरफेर का आरोप कंपनी के ऑडिटर और सीए संजय सोढानी पर लगाते हुए पिछले साल पुलिस में शिकायत की थी। सोढानी ने खुद को लोन घोटाले से अलग बताते हुए शर्मा दंपती को ही इसमें शामिल बताया है।
सोढानी ने कहा था कि जिस फर्म अखिलेश इंटरप्राइजेस के खाते में बैंक ने पैसा डाला था, वह मीनाक्षी शर्मा के साथ कंपनी के डायरेक्टरों में शामिल अवधेश जायसवाल के रिश्तेदार की है। इस बीच अहम तथ्य सामने आया है कि जिस अखिलेश इंटरप्राइजेस का नाम सामने आया है, उसे भी घोटाले के लिए उसके प्रोप्राइटर से किराए पर लिया गया था।
जांच के दौरान फर्म के मालिक अखिलेश जायसवाल ने पुलिस को लिखित बयान दिया है कि उसने अपनी फर्म बनाकर सीए को चलाने के लिए दी थी। बदले में उसे 25 हजार रुपए महीना किराया देने की बात हुई थी। साथ ही गारंटी भी ली गई थी कि फर्म के ऑडिट, सेल्सटैक्स व इनकम टैक्स का काम भी सीए सोढानी ही कर देंगे। अखिलेश ने खुद नौकरीपेशा बताते हुए कहा है कि 25 हजार रुपए प्रतिमाह की अतिरिक्त कमाई के लालच में उसने अपने नाम से बनी फर्म किराए पर दे दी थी।
लोन घोटाले से अनभिज्ञ बताते हुए जायसवाल ने पुलिस से कहा है कि चूंकि फर्म के संचालन का जिम्मा उसने सीए को दे दिया था, इसलिए साथ में साइन किए चेक, आरटीजीएस फॉर्म भी दिए थे। इन्हीं फॉर्म व चेक से लोन का पैसा अन्य खातों में ट्रांसफर किया गया। इन सात में से छह को तो मैं जानता ही नहीं। इन चेक पर पूर्ति खुद सीए ने की थी। हैंडराइटिंग की जांच से मामला साफ हो जाएगा। जायसवाल ने कबूला कि एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2018 तक फर्म के खाते से 56 लोगों को लेनदेन हुआ है।
इन 56 में से कई जीएसटी घोटाले में रडार पर आ चुकी फर्म और कंपनियां हैं, जबकि बाकी घोटाले और लोन हजम करने वालों के रिश्तेदारों के खाते या उनकी भागादारी वाली फर्में-कंपनियां हैं। इधर, मामले में आरोपों के घेरे में आए सोढानी का कहना है कि अखिलेश इंटरप्राइजेस मिनर्वा के एक डायरेक्टर अवधेश जायसवाल के बेटे की ही फर्म है। इन्होंने लोन हजम किया। बैंक को भी मशीनरी की झूठी जानकारी दी। मेरे बारे में सब झूठ बोला जा रहा है। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता।