अनुकंपा नियुक्ति आवेदन की समय सीमा: हाईकोर्ट का निर्णय | Compassionate appointment application deadline: High Court decision

Bhopal Samachar
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी के आवेदन पर किसी भी समय विचार करने की केंद्र की नीति उस मूल आधार के विपरीत है जिसे लेकर ऐसी नौकरियां दी जाती हैं। अदालत ने कहा कि केंद्र द्वारा 29 सितंबर 2016 के एक परिपत्र में अपनाए गए उस रुख से वह “उलझन” में है जिसके मुताबिक यह तय किया गया है कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिये आवेदन पर कभी भी फैसला हो सकता है, भले ही सरकारी कर्मचारी के निधन को कितना ही समय बीत गया हो। 

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा, “इस तरह की नीति उस मूल आधार के विपरीत जाती है जिसके तहत अनुकंपा के आधार पर नौकरियां दी जाती हैं।” अदालत ने यह टिप्पणी उस याचिका को खारिज करने के दौरान की जिसमें एक महिला ने अपने पिता की मृत्यु के 26 साल बाद सीआईएसएफ में अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगी। पीठ ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति भर्ती का नियमित स्रोत नहीं है। यह सिर्फ इस नजरिये से दी जाती है कि सरकारी कर्मचारी के निधन पर मृतक के परिजनों के सामने आने वाले तात्कालिक वित्तीय संकट को हल किया जा सके। 

इसमें कहा गया, “याचिकाकर्ता (बेटी) के परिवार के सामने 1993 में तत्काल जो आर्थिक समस्या रही होगी वह स्वाभाविक रूप से 2018 तक जारी नहीं रही होगी, जब याचिकाकर्ता ने यह याचिका दायर की। इस दौरान याचिकाकर्ता की मां ने सभी बच्चों का लालन-पालन किया और उन्हें शिक्षा दिलाई। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने सभी बच्चों की शादी की और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया।” 

याचिका के मुताबिक, महिला के पिता की मृत्यु मार्च 1993 में हुई और उसकी मां ने पति के निधन के तत्काल बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिये आवेदन नहीं किया। उन्होंने 2011 में आवेदन किया जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि व्यक्ति की पत्नी दसवीं पास नहीं थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह बालिग हुई और 2013 में उसने स्नातक करने के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिये 2018 में आवेदन किया। 

इससे पहले महिला की याचिका को अधिकारियों ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उसके पिता के निधन की तारीख से 20 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। महिला को अदालत ने नए सिरे से आवेदन करने की छूट दी जिसे अधिकारियों ने फरवरी में एक बार फिर इस आधार पर खारिज कर दिया कि आवेदन काफी देर से किया गया।
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