जबलपुर। तहसील पाटन से पाटन-कटरा-बेलखेड़ा-मनकेड़ी रोड पर पड़ने वाले डूंडी नाला का पुल ढहने की कगार पर है। पुल का एक पिलर पूरी तरह गिर चुका है और सड़क का आधा हिस्सा एक पिलर पर रखा है। पुल की इतनी खतरनाक स्थिति के बावजूद (पीडब्लयूडी) लोक निर्माण विभाग के लापरवाह अधिकारी एक वर्ष से पुल की मरम्मत तक नहीं करा सके। इस पुल के जर्जर होने से करीब 20 से अधिक गांवों के लोगों को 8 की जगह 15 किलोमीटर का घेरा लगाकर पाटन पहुंचना पड़ रहा है।
जुलाई 2018 में पुल का पिलर ढह गया था, तब से हजारों गांव वाले पुल नहीं बनने के कारण परेशान हैं। यह सड़क जबलपुर जिले की पाटन तहसील को नरसिंहपुर के गोटेगांव तक जोड़ती है। इस बीच में सैकड़ों गांव पड़ते हैं, जिनमें रहने वाले हजारों लोग पाटन नगरीय क्षेत्र में रोजमर्रा के काम से आते हैं। चूंकि पाटन बड़ा कृषि क्षेत्र होने के कारण लोगों का आवागमन अधिक होता है।
8 की जगह 15 किलोमीटर का लगा रहे घेरा
पुल ठीक होने पर ग्रामीण आसानी से 8 किलोमीटर का रास्ता तय करके नगरीय क्षेत्र पाटन पहुंच जाते थे, लेकिन पिछले वर्ष जुलाई में पुल से आवागमन बंद होने के कारण ग्रामीणों को पाटन-सिमरिया-कांटी रोड से 15-20 किलोमीटर का रास्ता तय करके पाटन पहुंचा पड़ रहा है। ग्रामीण एक वर्ष से इतना घेरा लगाकर पाटन तक पहुंच रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने की थी 58 करोड़ की घोषणा
पाटन-मनकेड़ी सड़क बनाने के लिए लोकसभा चुनाव से लगभग दो माह पहले जबलपुर दौरे पर आए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने 58 करोड़ रुपए घोषित किए थे। इस राशि से करीब 25 किलोमीटर का यह मार्ग बनना था, लेकिन अभी तक इस मार्ग पर पड़ने वाले पुल का सुधार तक नहीं किया सका। हजारों ग्रामीण परेशान हैं। वहीं स्कूली बच्चों और सभी यात्री वाहनों को लगभग दोगुना घेरा लगाकर पाटन आना पड़ रहा है।
लगभग दो दर्जन गांव के लोग परेशान
डूंडी पुल क्षतिग्रस्त होने से सिंगोरी, जूरी, उड़ना, करैया,रिमझा, मुस्करा, माला,हरदुआ, मझगवां, पिपरिया, कटरा, बेलखेड़ा, माला कला, डूंडी आदि लगभग दो दर्जन गांव के लोग चक्कर लगाकर नगरीय क्षेत्र पाटन पहुंच रहे है। इसके अलावा स्कूल कॉलेज के बच्चों को रोजाना इतना घेरा लगाना पड़ रहा है।