भोपाल। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) अपनी लापरवाही और कामचोरी को बड़ी ही चतुराई के साथ, किसी विभाग, परिस्थितियां या उम्मीदवारों पर डाल देता है। आदेश मिल जाने के बाद भर्ती परीक्षा का आयोजन करना, इस दौरान उत्पन्न सभी विवादों का निपटारा करना और रिजल्ट घोषित करना ही प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) का काम है परंतु पीईबी के अधिकारी यह भी नहीं कर पाते हैं। मप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट अटका हुआ है। पीईबी के अधिकारी कभी विभाग तो कभी सरकार के नाम पर अपनी मजबूरियां बयां करते रहे। अब आपत्तियों के बहाने रिजल्ट अटकने का गीत सुना रहे हैं।
मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था। लाखों उम्मीदवारों ने मांगी गई परीक्षा फीस बिना किसी मोलभाव के भरी। परीक्षा नियमों का पालन किया। अब रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। परीक्षा नियंत्रक प्रो. एकेएस भदौरिया का कहना है कि अभी वे इस स्थिति में नहीं है कि यह बता सकें कि रिजल्ट कब घोषित होंगे। इसके अलावा वो कारण भी बता रहे हैं कि इस परीक्षा में विषयों की संख्या अधिक है। हर विषय में 450 से 500 आपत्तियां आई हैं। यह परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों पर उम्मीदवारों द्वारा ही दर्ज कराई गई हैं। इनके निराकरण के लिए कमेटियां गठित कर दी गई हैं। निराकरण होते ही रिजल्ट घोषित किए जाएंगे।
सुलगते सवाल
- क्या प्रो. एकेएस भदौरिया को पहले से पता नहीं था कि इस परीक्षा में विषयों की संख्या अधिक है।
- क्या प्रो. एकेएस भदौरिया को पहले से अनुमान नहीं था कि उम्मीदवारो की संख्या सबसे ज्यादा होगी।
- क्या प्रो. एकेएस भदौरिया को पहले से अनुमान हीं था कि जब उम्मीदवार ज्यादा होंगे तो आपत्तियां भी ज्यादा होंगी।
- क्या प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के कर्ताधर्ताओं को यह भी नहीं पता कि आपत्तियों को निर्धारित समय सीमा में निराकृत करना ही उनकी नौकरी है।
- यदि प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के अधिकारी ही प्राइमरी के छात्र की तरह बहाने बाजियां करेंगे तो क्यों ना यह मान लिया जाए कि पीईबी के अधिकारी पद के अयोग्य हैं और उन्हे हटा दिया जाना चाहिए।
- यदि उम्मीदवार निर्धारित समय पर परीक्षा के लिए उपस्थित नहीं होता तो उसे परीक्षा कक्ष में प्रवेश करने नहीं दिया जाता। अब पीईबी के अधिकारी निर्धारित समय पर परीक्षा परिणाम घोषित नहीं कर पाए तो क्यों ना उन्हे भी कार्यालय में प्रवेश से वंचित कर दिया जाए।