आदरणीय महोदय जी, सादर नमस्कार! मप्र में शिक्षा और शिक्षित बेरोजगार दोनों के बुरे हाल हैं और वर्तमान समय में तो परेशानी बढ़ती जा रही हैं जहाँ उ.प्र सरकार ने आफलाइन टेट एग्जाम कराकर 15 दिन में प्रथम परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया था जबकि वहाँ म.प्र से दुगुने अभ्यार्थी परीक्षा मे शामिल हुए थे। वही म.प्र में 2011 के बाद शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षा का आयोजन 2019 में हुआ इस बीच न जाने कितने ही पढ़े लिखे डीएड, बीएड युवा ओवरएज हो गये होगें न जाने उनके माता पिता ने किस मुश्किल से उन्हे पढ़ाया लिखाया होगा ताकि वे एक अच्छा जीवन जी सके परंतु सरकार की लापरवाही ने सब खत्म कर दिया।
एक तो आनलाइन एग्जाम के नाम पर सबको अलग अलग प्रश्न पत्र दिया जाता हैं फिर नार्मलाइजेशन के नाम पर कांट छांट की जाती हैं जबकि शासन को एकसाथ एग्जाम की व्यवस्था करना चाहिए। नही कर सकते तो पुरानी आफलाइन परीक्षा पद्धति को ही सुधार के साथ लागू कर देना चाहिए ताकि किसी के साथ अलग अलग प्रशनपत्र व नार्मलाइजेशन वाला भेदभाव न हो और वैसे भी प्रदेश में चल रही आनलाइन एग्जाम पद्धति किसी नवीन सुविधापूर्ण व्यवस्था बनाने में असफल है क्योंकि यहां परीक्षा के बाद महीनों रिजल्ट को लटकाया जाता हैं।
हालात यह है कि बेरोजगारों को यहां भर्ती निकलवाने के लिए सड़को पर आना पड़ता है उसके बाद रिजल्ट के लिए प्रदर्शन करना पड़ता हैं आज 4 माह बाद भी म.प्र शिक्षक पात्रता परीक्षा का रिजल्ट घोषित नहीं किया गया है। बेरोजगार तनाव में जीवन जी रहें है घर में व समाज में ताने सुन रहे हैं जो परिवार बसा चुके है वे अपने बच्चों और अपने सुरक्षित भविष्य की चिंता में है।
आज जहॉं तहॉं प्रशिक्षित पीईबी टेट पास आवेदक परीक्षा परिणाम घोषित कराने ज्ञापन दे रहें हैं। धैर्य की एक सीमा होती हैं और वक्त जाने के बाद धीरज किसी काम का नहीं होता सरकार ने नवीन सत्र तक शिक्षक उपलब्ध कराने के बड़े बड़े दावे किए थे जिनकी हवा निकल चुकी है न तो सरकार बेरोजगार भत्ता दे सकी, न ही पुलिस भर्ती करा सकी, न ही शिक्षक भर्ती करा सकी, न संविदा नियमितिकरण हुआ, न ही अतिथि शिक्षक नियमितिकरण की नीति आयी।
परेशानी का एक पल काटना मुश्किल होता है माननीय और यहां बेरोजगारों को धैर्य की शिक्षा दे रही है सरकार। क्या जनता ने धीरज के लिए इन्हें चुना था। जिन अव्यवस्थाओं से जनता त्रस्त थी उनमें सुधार के लिए सत्ता परिवर्तन किया था क्योंकि 15 वर्ष में धीरज जबाव देने लगा था।
अब बात कर ले शिक्षा व्यवस्था की तो म.प्र में 2011 में इग्नू व आईसेक्ट भोपाल ने मिलकर छात्रों को दो वर्षीय पाठ्यक्रम डी.एल.एड में प्रवेश दिया था जिसकी प्रथम सत्र की परीक्षा जून 2013 में हुई थी जिसका अधूरा परीक्षा परिणाम सितंबर 2015 में आया और दूसरे सत्र की परीक्षा दिसंबर 2015 में हुयी और प्रदेश के कई जिलों के अभ्यार्थियों ने अधूरे परीक्षा परिणाम वाले विषयों की परीक्षा लेट फीस का भुगतान कर जून 2016 में दी उदा- शासकीय पीजी कालेज नरसिंहपुर म.प्र परीक्षा केन्द्र क्रमांक 1565 D के सभी छात्रों ने जून 2013 में बीईएस -002 का पेपर दिया था और पुन: लेट फीस देकर 16 जून 2016 में इसी पेपर को सभी छात्रों ने दिया तब अगस्त 2016 में कोर्स पूरा हुआ दो वर्षीय कोर्स को 5 साल में पूरा कराया गया मगर तत्कालीन सत्तापक्ष व विपक्ष किसी का इस पर ध्यान नहीं गया और हजारों व्यापम संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा 2011 पास अभ्यार्थी डीएलएड के अभाव में अच्छे अंक लाने के बाद भी बेरोजगार रहे और किसी का इस पर ध्यान नहीं गया।
न जाने कितने ही इग्नू , आईसेक्ट की इस देरी से ओवरएज हो गये। अभी वर्तमान समय में महर्षि महेश योगी यूनिवर्सिटी पत्राचार से कई प्रोग्राम चला रही है जिसके एग्जाम सेंटर कई प्राइवेट संस्थान होते हैं जिन पर धड़धल्ले से नकल होती है जिसके कारण एम.ए.इंग्लिश, गणित व अन्य कोर्स में आवेदक अच्छे अंको से पास हो जाते हैं जिससे बीयू, रानी दुर्गावती, देवी अहिल्या व अन्य शासकीय प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज से ये कोर्स करने वाले ईमानदार आवेदक आज इन नकलचियों से पिछड़ जाते है व अतिथि शिक्षक बनना तक मुश्किल हो रहा है।
इसलिए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जी को चाहिए कि महर्षि महेश योगी यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं का सेंटर प्रदेश के शासकीय कालेजों में बना जाए व भोपाल से उच्च स्तर पर इसकी परीक्षा की मानीटरिंग की जाए ताकि प्रदेश में नकलची डिग्रीधारी न पनपे क्योंकि सरकार शिक्षक उपलब्ध कराने में असफल हैं। अब अनुभव के स्थान पर अंको को वरीयता दी जाती है व ऐसे फर्जी नकलची अतिथि शिक्षक बन गए तो ये प्रदेश के गरीब छात्रों का भविष्य खराब करेगें साथ ही योग्य आवेदक का भी क्योंकि पूर्व में म.प्र के रायसेन जिले के देवरी में महर्षि यूनिवर्सिटी की परीक्षा में नकल की खबर आ चुकी है। पहले एग्जाम सेंटर ग्रामीण स्तर पर होते थे अब तहसील स्तर कर दिया गया है परंतु प्राइवेट संस्थानों के स्थान पर शासकीय कालेज को ही परीक्षा सेंटर बनाए जाए ताकि नकल न हो सके व भोपाल से उच्च स्तरीय मानीटरिंग व्यवस्था की जाए ताकि प्रदेेेेश का जो सम्मान शिक्षा क्षेत्र में है वो बना रहे।
सादर धन्यवाद
आपका शुभेच्छु
आशीष बिलथरिया