डॉ. प्रशांत लहारिया के बेटे को चमकी बुखार! | GWALIOR NEWS

ग्वालियर। शहर में चमकी बुखार के लक्षण से मिलते जुलते वायरस की दस्तक हुई है। इस वायरस का शिकार एक जाने माने चिकित्सक प्रशांत लहारिया का बेटा समर (18)बना है। पहले बुखार फिर अचानक बेहोश होने पर डॉ.लहारिया तत्काल समर को दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, जहां उसका इलाज चल रहा है। रिपोर्ट से पता चला कि इंसेफलाइटिस स्फोरेटिक नामक वायरस का अटैक हुआ है। जिसके लक्षण चमकी बुखार(एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से मिलते जुलते हैं। डॉ.लहारिया का कहना था कि इंसेफलाइटिस वायरस आईडेंटीफाई हुआ है। पर यह चमकी बुखार नहीं है। वहीं डॉ.दिनेश उदैनिया का कहना था कि समर पर जिस वायरस ने अटैक किया उसके केस शहर में अमूमन मिलते रहते हैं। इस बीमारी को चमकी बुखार से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।

3 दिन बुखार, चौथे दिन बेहोशी

समर को तीन दिन से बुखार आ रहा था। रविवार की रात करीब साढ़े 9 बजे अचानक खाने की टेबल पर वह बेहोश हो गया। उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद एमआरआई के लिए अपोलो अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां पर जांचें हुईं और सोमवार की सुबह 1 जून को दिल्ली के मैक्स अस्पताल ले जाकर भर्ती करा दिया। जहां पर उसकी तबियत में सुधार बताया गया है। जांच में पता चला कि दिमाग पर इंसेफलाइटिस नामक वायरस का अटैक हुआ है।

पिछले माह ही लौटे हैं विदेश से

डॉ.प्रशांत लहारिया का कहना है कि जून के प्रथम सप्ताह में ही साउथ अफ्रीका से लौटे हैं। विदेश से लौटने पर इस तरह के कोई लक्षण उन्हें नजर नहीं आए। पर अचानक गुरुवार-शुक्रवार को समर को बुखार आने लगा। तो पहले सामान्य ही समझा पर रविवार को बेहोश होने पर सभी घबरा गए और उसे तत्काल दिल्ली लेकर पहुंचे। यह वायरस कहां से आया, कुछ कहा नहीं जा सकता। पर घर के नजदीक जयारोग्य अस्पताल में हर रोज हजारों मरीज पहुंचते हैं। अंदेशा जताया जा रहा है कि कोई मरीज इस वायरस से ग्रसित होगा। इस वायरस के लक्षण भी चमकी बुखार से मिलते जुलते हैं।

चमकी बुखार के लक्षण

चमकी बुखार एक तरह का दिमागी बुखार होता है। इसका वैज्ञानिक नाम एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) है। यह एक संक्रामक बीमारी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने वालों को यह बुखार अपनी चपेट में जल्दी लेता है। शरीर में इसके वायरस बढ़ने से यह दिमाग तक पहुंच जाते हैं और नर्वस सिस्टम को खराब कर देते हैं। तेज बुखार के साथ बच्चे को उल्टियां होना, लगातार सिर दर्द होना, बेहोशी छाना, मिर्गी जैसे झटके आना और ऐंठन होने के कारण ही एईएस का नाम चमकी बुखार पड़ा है।

चमकी बुखार से बचाव के उपाय

- धूप से बच्चों को दूर रखें।
- पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनाएं।
-बच्चों के शरीर में पानी की कमी न होने दें।
- रात को मच्छरदानी लगाएं।
-बच्चों को हल्का साधारण खाना खिलाएं और जंक फूड से दूर रखें।
-सड़े-गले फल न खिलाएं।
-घर के आसपास गंदगी न होने दें।
-बच्चे को खाली पेट न रहने दें, खाना खिलाकर ही सुलाएं।
-कच्चे मास का सेवन न करें।

लक्षण दिखें तो डॉक्टर से लें सलाह

लगातार तेज बुखार, शरीर में ऐंठन, कमजोरी, बेहोशी छाना, शरीर सुन्न पड़ना, लगातार सिर दर्द होना, इंफेक्शन व हीट स्ट्रोक भी प्रमुख कारण है। अगर इस बुखार के लक्षण दिखाई देतें हैं तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं।

समर को दिमागी बुखार हुआ न कि चमकी

समर की रिपोर्ट में इंसेफलाइटिस स्फोरेटिक वायरस डिडेक्ट हुआ है। तेज बुखार आने पर वह दिमाग पर चढ़ जाता है। जिसके कारण लोग बेहोश भी हो जाते हैं। इसके मरीज शहर में अक्सर मिलते हैं। यह चमकी बुखार नहीं हैं इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। चमकी बुखार बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 0-2 साल के बच्चों में पाया गया। यह अक्सर कुपोषित बच्चों में होता है। बिहार में लीची की पैदावार अच्छी होती है। ऐसा बताया गया है कि कुपोषित बच्चों को कच्ची लीची खिलाई गई। लीची में एक टॉक्सन पाया जाता है जो शुगर को घटा देता है। बच्चा पहले से ही कुपोषित ऊपर से लीची खाने से उसकी शुगर घटने से वह बेहोशी में चला जाता है। इसलिए उसमें कई बीमारियां घर कर जाती हैं। कई बीमारियों के समूह को एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम कहते हैं। डॉ दिनेश उदैनिया ,एचओडी न्यूरोलॉजी विभाग, जीआरएमसी
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