फूड प्रॉडक्ट्स की पैकिंग के लिए नई गाइडलाइन | GUIDELINE FOR FOOD PRODUCTS PACKAGING

शशिकांत तिवारी/भोपाल। अगर आप चाय की थैली (टी-बैग) से चाय पीने के शौकीन हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। थैली में लगी पिन अब आपके लिए किसी तरह का खतरा नहीं बनेगी। थैली को स्टेपल करने की जगह उसे चिपकाकर बंद किया जाएगा। खाने-पीने की दूसरी चीजों के पैकेट्स की पैकिंग भी इसी तरीके से की जाएगी। फूड सेफ्टी एवं स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने इस संबंध में सभी राज्यों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को पत्र लिखकर इस पर रोक लगाने को कहा है। हालांकि, अभी इस पर सख्ती नहीं की जाएगी। निर्माताओं को पहले स्टेपल करने को लेकर जागरूक किया जाएगा।

पेपर और प्लास्टिक बैग की पैकिंग के लिए छोटे निर्माता ज्यादातर स्टेपल पिन का इस्तेमाल करते हैं। पिन धातु की बनी होती है। खाने-पीने की चीजों के संपर्क में आने के बाद पिन नुकसानदेह हो सकती है। कई बार पिन में जंग लग जाती है। जंग लगी जगह पर रोगाणु जन्म लेते हैं। पिन ढीली होने पर खान-पान की चीज में जा सकती है। ऐसे में यह गले में फंस सकती है। एफएसएसएआई ने इस संबंध में 27 जून को निर्देश जारी किए हैं। अब प्रदेश में खाद्य एवं औषधि प्रशासन प्लास्टिक व पेपर बैग में खान-पान की चीजें पैक करने वाले उत्पादकों व विक्रेताओं को जागरूक करेगा। बता दें कि एफएसएसएआई ने जनवरी से इस पर सख्ती करने की तैयारी शुरू थी।

इस दौरान निर्माताओं ने कहा था स्टेपल पिन की जगह पैकिंग का दूसरा तरीका अपनाने से खर्च बढ़ेगा। लिहाजा, अब दोबारा निर्देश जारी किए गए हैं।

-खुदरा व्यापारी इन चीजों में लगाते हैं पिन
-प्लास्टिक बैग में जूस, दही, चटनी, बूंदी, रबड़ी, रसगुल्ला, बेकरी आइटम, सब्जी आदि।
- ज्यादा देर तक टी-बैग को पानी में डुबोने से पेट की बीमारियों का खतरा
डॉक्टरों ने बताया कि टी-बैग में उपयोग होने वाले कुछ कागजों में एपीक्लोरो हाइड्रीन रहता है। यह नुकसान करने वाला रसायन है। टी-बैग को ज्यादा देर तक पानी में डुबो कर रखने से यह रसायन पानी में घुल जाता है। इससे पेट की बीमारियां व फेफड़े का कैंसर होने का खतरा रहता है।

पिन लगाने से संक्रमण का खतरा
स्टेपल पिन से खान-पान की चीजों की सही तरीके से पैकिंग नहीं हो पाती। ऐसे में चीजों में नमी पहुंचने से उनके खराब होने का डर रहता है। स्टेपल पिन पर जंग लगने से रोगाणु जन्म लेते हैं। पिन निकलकर गले में फंसने का डर भी रहता है। अस्पतालों में इस तरह के केस भी आ चुके हैं। कुछ पैकिंग पेपर में एपीक्लोरो हाइड्रीन होता है, जो नुकसानदेह है।
-डॉ. अनिल शेजवार, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिसिन, हमीदिया

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