RTI ACT SECTION 8 के नाम पर भ्रष्टाचार को छुपाया नहीं जा सकता: राज्य सूचना आयुक्त

Bhopal Samachar
भोपाल। आरटीआई एक्ट (RIGHT TO INFORMATION ACT) के तहत निजी जानकारी के लिए धारा 8 1 (J) (SECTION 8 1 (J) or 8 1 (D)) और व्यवसायिक हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए धारा 8 1 (D) के नाम पर भ्रष्टाचार (CORRUPTION) के मामलों को छुपाया नहीं जा सकता। राज्य सूचना आयोग (STATE INFORMATION COMMISSION) ने एक अपील के निराकरण में इसे स्पष्ट किया। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह (RAHUL SINGH STATE INFORMATION COMMISSIONER) ने कहा कि आरटीआई एक्ट के तहत धारा 3 (RTI ACT SECTION 3) में सूचना देना एक नियम है और धारा 8 में जानकारी ना देना एक अपवाद।

मैहर के प्रसिद्ध शारदा देवी मंदिर पर लगे रोप वे में हुए जीएसटी फर्ज़ीवाड़ा मामले में राज्य सूचना आयोग ने सेल्स टैक्स विभाग को फटकार लगाते हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट आरटीआई के तहत 7 दिन में उजागर करने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने की। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि सेल्स टैक्स विभाग के अधिकारियो को लोकहित के बजाए घोटाले में आरोपी कंपनी के व्यावसायिक हितों की चिंता ज्यादा सता रही है।?

क्या है मामला
मैहर के प्रसिद्ध शक्तिस्थल पर रोप वे के रसीद पर गलत जीएसटी नंबर का फर्जीवाड़ा पिछले साल फ़रवरी में उजागर हुआ था। आशंका जताई गई गई थी कि कंपनी ने टैक्स चोरी करने की नीयत से इस तरह का रैकेट चला रखा है। तत्कालीन सतना कलेक्टर ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे। सतना कलेक्टर के निर्देश पर सेल्स टैक्स सहायक आयुक्त मनीष त्रिपाठी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम ने इस पूरे प्रकरण की पड़ताल की थी।

कंपनी के भ्रष्टाचार की जांच रिपोर्ट की जानकारी देने से क्यों मना किया

कांग्रेस नेता और आरटीआई एक्टिविस्ट उदयभान चतुर्वेदी ने आरटीआई के जरिए मामले की जांच रिपोर्ट मांगी थी लेकिन सेल्स टैक्स विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने तीसरे पक्ष को रोपवे कंपनी के व्यवसायिक हित के नुकसान को आधार बनाकर जानकारी देने से मना कर दिया। इसके बाद उदयभान ने प्रथम अपीलीय अधिकारी सेल्स टैक्स सतना, संभागीय आयुक्त के एन मीणा के पास अपील दायर की थी। संभागीय आयुक्त ने रोपवे कंपनी का पक्ष लेते हुए जांच रिपोर्ट को आरटीआई के तहत जारी करने से मना कर दिया। निजी जानकारी के लिए धारा 8 1 (J) और व्यवसायिक हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए धारा 8 1 (D) को अपने फैसले में संभागीय आयुक्त ने आधार बनाया।

आरटीआई एक्ट 8 1 (D) और 8 1 (J) के बारे में राज्य सूचना आयुक्त ने क्या कहा

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सेल्स टैक्स सतना संभागीय आयुक्त के फैसले को खारिज करते हुए कहा सूचना के अधिकार कानून की 8 1 (D) और 8 1 (J) दोनों धाराओं में लोकहित का भी जिक्र है जिसको सेल्स टैक्स विभाग के अधिकारियों ने इस प्रकरण में पूरी तरह से नजरअंदाज किया। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा की सूचना के अधिकार कानून के तहत धारा 3 में सूचना देना एक नियम है और धारा 8 में जानकारी ना देना एक अपवाद।

राहुल सिंह ने सेल्स टैक्स अधिकारियों को चेताते हुए हुए यह भी कहा कि धारा 8 की ऐसी व्याख्या नहीं करनी चाहिए कि जिस काम के लिए सूचना के अधिकार कानून का जन्म हुआ हो उसी पर सवालिया निशान लग जाए। उन्होंने कहा कि ये गंभीर मसला है। गुण दोष के आधार पर दस्तावेजों के अध्ययन के बाद प्रथम दृष्टआ लग रहा है कि रोप वे कंपनी ने गंभीर अनियमितता करते हुए गलत जीएसटी नंबर रोपवे पर्ची में दर्ज किया।

व्यवसायिक हितों के बजाय लोक हित की चिंता ज्यादा होनी चाहिए

राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि लोक सूचना अधिकारी को ऐसे मसलों में तीसरे पक्ष के व्यवसायिक हितों के नुकसान की चिंता कम और लोकहित की चिंता ज्यादा होनी चाहिए। जाहिर है जीएसटी घोटाले से राजस्व का नुकसान होता है और ऐसे मामलों में पारदर्शिता बहुत जरूरी है। यहां तीसरे पक्ष के व्यवसायिक हितों के बजाय लोक हित की चिंता ज्यादा होनी चाहिए जोकि सतना के वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों में नहीं दिखाई दी। फर्जी जीएसटी नंबर के आरोपी कंपनी का यह तर्क कि इस जानकारी के सामने आने से उसका वाणिज्यिक विश्वास भंग होता है कतई उचित नहीं। जबकि जीएसटी नंबर में फर्जीवाड़ा करके कंपनी ने सरकार और आम जनता दोनों का विश्वास भंग किया है।

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि सतना के वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारी आरोपी कंपनी की जानकारी नहीं देने की दलील से बड़ी आसानी से सहमत हो गए। सूचना आयुक्त ने कहा कि जाहिर है घोटाले में आरोपी कंपनी कभी नहीं चाहेगी कि उससे संबंधित जांच की कार्रवाई की रिपोर्ट सार्वजनिक हो।

सूचना आयुक्त ने कहा कि लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी को तथ्यों को सामने रखते हुए जनहित के आधार पर सूचना के अधिकार कानून के तहत ऐसे फैसला लेना चाहिए जिससे सरकार में एक भ्रष्टाचार विरोधी पारदर्शी व्यवस्था का निर्माण हो सके।

सेल्स टैक्स के संभागीय आयुक्त के आदेश को खारिज करते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि आम नागरिक को लोकहित के तहत यह जानने का अधिकार है कि जीएसटी में फर्जीवाड़े की ख़बर आने के बाद कलेक्टर के निर्देश के बाद हुई जांच का क्या निष्कर्ष निकला। यह जानकारी सरकार के कामकाज के तरीके से भी संबंधित है। सरकारी विभाग के पास उपलब्ध है। इसे लोकहित में सूचना के अधिकार कानून के तहत दिया जाना चाहिए।

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