भोपाल। खुद को नौ महीने का गर्भ बताने वाली महिला का ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसके पेट में बच्चा नहीं है। महिला और उसके परिजनों का दावा है कि ऑपरेशन से पहले डॉक्टरों ने जांच करके बच्चा बाईं ओर होने और बच्चे की सांस 80 प्रतिशत चलने की बात कही थी। डॉक्टरों ने तत्काल ऑपरेशन नहीं करने पर बच्चे की जान को खतरा बताया था। महिला के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने बच्चा गायब किया है। जबकि, इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महिला स्यूडो प्रेग्नेंसी (Pseudo pregnancy) की शिकार थी, उसके पेट में बच्चा नहीं था।
पूरा मामला होशंगाबाद रोड स्थित नोबल अस्पताल का है। CRPF कैंपस बंगरसिया निवासी कृष्णा सोलंकी (Krishna Solanki) दो जून को करीब 11 बजे दर्द से कराहती हुई अस्पताल पहुंची थीं। डॉक्टरों ने जांच के बाद उनका ऑपरेशन किया और करीब एक घंटे बाद उनके पति प्रेमपाल सोलंकी (Prempal Solanki) को ओटी में बुलाया। यहां डॉक्टरों ने महिला का पेट दिखाकर उन्हें बताया कि बच्चा है ही नहीं। यह सुनकर प्रेमपाल के होश उड़ गए। परिजनों ने इस पर अस्पताल में खूब हंगामा किया। अस्पताल प्रबंधन की ओर से इसकी शिकायत सीआरपीएफ के अधिकारियों से की है। वहां मामले की जांच की जा रही है।
सोनोग्राफी में प्रेग्नेंट नहीं होने का दावा
इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि कृष्णा ने सोनोग्राफी (sonography) नहीं कराने की बात कही थी। जबकि, सीसीटीवी फुटेज में महिला बैग छिपाती दिखी थी। जब बैग देखा गया तो उसमें सोनोग्राफी की रिपोर्ट मिली हैं। उसमें भी महिला के प्रेग्नेंट नहीं होने की पुष्टि हुई है। इधर, कृष्णा का कहना है कि छठवें महीने से वह नोबल में इलाज करा रही थी। उसकी एक भी सोनोग्राफी नहीं हुई। ऑपरेशन से पहले उसने सोनोग्राफी कराने को कहा था, लेकिन डॉक्टरों ने यह कहकर टाल दिया कि पहले दो ऑपरेशन हो चुके हैं। डिलीवरी ऑपरेशन से ही होगी, सोनोग्राफी की जरूरत ही नहीं है।
अस्पताल वालों ने गायब कर दिया बच्चा
पीड़ित महिला के देवर दीपक सोलंकी का कहना है कि दो जून को नोबल में भर्ती किया था। यहां डॉक्टरों ने बच्चे की 80 प्रतिशत सांस चलने की बात कही और ऑपरेशन के लिए ओटी में ले गए। घंटेभर बाद भैया को बुलाकर भाभी का पेट दिखाकर बोले कि पेट में बच्चा नहीं है। जबकि, भाभी के पेट में बच्चा था। अस्पताल वालों ने बच्चा गायब किया है।
स्यूडो प्रेग्नेंसी की शिकार थी महिला
नोबल अस्पताल की डायरेक्टर डॉ. पद्मा मिश्रा का कहना है कि महिला स्यूडो प्रेग्नेंसी की शिकार थी। उसे सीवियर पैन में लाया गया था। ऑपरेशन के बाद उनके पति को ओटी में बुलाकर दिखाया था कि पेट में बच्चा नहीं है। महिला के पास से मिली सोनोग्राफी रिपोर्ट में भी प्रेग्नेट नहीं होने के प्रमाण मिले हैं। परिजनों ने हंगामा किया था, हमने पूरे मामले की शिकायत सीआरपीएफ में की है।
स्यूडो प्रेग्नेंसी एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिला को लगता है कि वह गर्भवती है। यही नहीं, शारीरिक बदलाव पूरी तरह गर्भवती महिला के जैसे होते हैं। उसका पेट भी बढ़ता है। लेकिन, हकीकत में वह गर्भवती होती नहीं है। ऐसे केस में क्लीनिकल डायग्नोसिस में इसका पता चल जाता है। सामान्यतौर पर बिना सोनोग्रफी के ऑपरेशन नहीं किए जाते, इमरजेंसी होने पर भी क्नीनिकल डायग्नोसिस तो की जाती है। स्यूडो प्रेग्नेंसी का इसमें पता चल जाता है।
डॉ. अरुणा कुमार, डीन, जीएमसी