MPPSC आयु सीमा मामले में कमलनाथ सरकार ने शिवराज सरकार की मंशा पूरी की है | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग में स्थानीय सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की आयु सीमा घटाकर कमलनाथ सरकार ने उसी लाइन को आगे बढ़ाया है जिसके कारण शिवराज सिंह सरकार को सवर्णों का विरोध झेलना पड़ा था। शिवराज सिंह सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी, लेकिन सुनवाई के पहले ही एसएलपी वापस ले ली। कमलनाथ सरकार के पर मौका था कि वो एसएलपी दायर करे लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए केवल मध्यप्रदेश के सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को नुक्सान पहुंचाने वाला फैसला लिया।

मामला क्या है

कमलनाथ कैबिनेट ने राज्य शासन की सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले पदों पर नियुक्ति के लिए निर्धारित अधिकतम आयु सीमा में बदलाव किया है। इसमें बाहरी प्रदेश के युवाओं की परीक्षा के लिए आयु सीमा 28 से बढ़ाकर 35 साल कर दी है, लेकिन प्रदेश के युवा उम्मीदवारों की आयु सीमा 40 से घटाकर 35 कर दी है। जबकि अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह सरकार के समय कांग्रेस की कोशिश होती थी कि ज्यादा से ज्यादा स्थानीय उम्मीदवारों को नौकरी से अवसर दिए जाएं।

कितने उम्मीदवार प्रभावित होंगे

सामान्य वर्ग के युवाओं की 5 वर्ष उम्र घटाने से 35 से 40 वर्ष की उम्र के कितने युवा नुकसान उठाएंगे, इसका हिसाब सरकार के पास नहीं है लेकिन सूत्रों के अनुसार इनकी संख्या करीब 1.50 लाख है। पीसीसी प्रबंधन भी चाहता था कि स्थानीय उम्मीदवारों को अवसर मिले। पीएससी ने हाईकोर्ट के फैसले पर 14 मई 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग से मार्गदर्शन मांगा था। तभी से भर्ती रुकी हुई थीं।

आयु सीमा मामले में कमलनाथ सरकार क्या क्या कर सकती थी

1. सरकार चाहती तो बाहरी और मूल निवासी दोनों के लिए आयु सीमा एक समान 40 वर्ष कर सकती थी। प्रदेश के युवाओं को 5 साल उम्र में कमी का नुकसान नहीं होता।
2. कांग्रेस सरकार के छह महीने हो चुके हैं। इस मामले में सरकार चाहती तो सुप्रीम कोर्ट में वापस से एसएलपी दायर कर सकती थी।
3. दूसरे कई प्रदेशों में आयु सीमा और बाहरी-मूल निवासियों के लिए अलग नियम है। इसका विस्तृत अध्ययन कराने के बाद प्रदेश के युवाओं के लिए ज्यादा अवसर निकाले जा सकते थे।

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