BHOPAL SAMACHAR की खबर पर हाईकोर्ट की मुहर, अशोकनगर के NEERAJ SHARMA ने मुद्दा उठाया था

इंदौर। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के दौरान केवल फिंगर प्रिंट विकल्प का ही उपयोग किया जाता था। 2017 में भोपाल समाचार ने आवाज उठाई कि यह नियम विरुद्ध एवं अन्यायपूर्ण व्यवस्था है। आवाज बुलंद हुई और पीईबी को बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के लिए वैकल्पिक प्रबंध भी करने पड़े। आज भोपाल समाचार की उन्हीं खबरों पर हाईकोर्ट की मुहर भी लग गई है। हाईकोर्ट ने पाया है कि फिंगर प्रिंट स्किन इंफेक्शन के कारण बदल सकते हैं अत: पीईबी को आदेशित किया गया है कि सभी परीक्षा केंद्रों पर फिंगर प्रिंट की जांच करने की मशीन के साथ-साथ आई स्कैनर भी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। 

गुरुवार को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए। कोर्ट ने यह आदेश इस संबंध में दायर एक याचिका में दिया। 2018 में हुई एक परीक्षा में शहर के भूपेंद्र सिंह इसी वजह से प्री एग्रीकल्चर टेस्ट देने से वंचित रह गए थे। इस बार उसके साथ ऐसा न हो, इसलिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा कि चर्म रोग की वजह से उन्हें यह दिक्कत हुई थी। ऐसे कई परीक्षार्थी हैं जिनके साथ ऐसी दिक्कत हो सकती है। इस साल 29 जून को एक बार फिर परीक्षा है। इस बार परेशानी न हो, इसलिए कोर्ट को दिशा निर्देश जारी करना चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद उक्त आदेश जारी कर दिए।

भोपाल समाचार के माध्यम से इस लड़ाई की शुरूआत हुई थी

बता दें कि 2017 में पीईबी उम्मीदवारों ने भोपाल समाचार के माध्यम से इस लड़ाई की शुरूआत कमी थी। दिसम्बर 2017 में अशोकनगर जिले के एक उम्मीदवार नीरज शर्मा ने इस मुद्दे को भोपाल समाचार पर उठाया था। पीईबी के अधिकारियों ने इस विषय को सिरे से नकार दिया था परंतु भोपाल समाचार के पाठकों ने प्रमाण उपलब्ध कराए। डॉक्टरों के बयान एवं लैब रिपोर्ट सार्वजनिक की गईं जो प्रमाणित करतीं थीं कि मौसम के साथ फिंगर प्रिंट बदल जाते हैं। अंतत: पीईबी को मानना पड़ा और उन्होंने केंद्रों पर 'आई स्कैनर' लगाए परंतु इसके साथ कुछ शर्तें भी रखीं। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह अनिवार्य हो गया है कि पीईबी के हर परीक्षा केंद्र पर आई स्कैनर उपलब्ध हो। 
यह है वो पहली खबर जो भोपाल समाचार पर प्रकाशित हुई, इसके बाद 50 से ज्यादा खबरें प्रकाशित की गईं इसमें इस मुद्दे को प्रमाणित किया गया। यह मुद्दा भोपाल समाचार के पाठकों ने उठाया और प्रमाण भी उन्हीं से उपलब्ध कराए। 

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