छात्र और शिक्षकों से कराई जाएगी स्कूल के शौचालय की साफ-सफाई: कमिश्नर | MP NEWS

भोपाल। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं। पिछले साल कई खबरें आईं थीं कि स्कूल के प्राचार्य और शिक्षक बच्चों से शौचालय की साफ-सफाई करवा रहे हैं। कुछ फोटो और वीडियो भी आए थे। अब इस तरह की खबरें नहीं आएंगी क्योंकि कमिश्नर ने आदेश दे दिया है कि सरकारी स्कूलों में शौचालय की साफ-सफाई प्राचार्य, शिक्षक और बच्चे मिलकर करेंगे।

साफ-सफाई का कार्य केवल स्वीपर का है, यह सोच उचित नहीं

मप्र शासन की ओर से दी गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार जबलपुर में जिला स्तरीय शिक्षण समीक्षा बैठक में संभागायुक्त राजेश बहुगुणा ने कहा कि शाला भवन और शौचालय की साफ-सफाई की जिम्मेदारी अब शाला के प्राचार्य, शिक्षक और बच्चों को मिल कर टीम वर्क के रूप में करनी होगी। उन्होंने कहा कि बालाघाट और जबलपुर की कई शालाओं के प्राचार्यों के नेतृत्व में अनुकरणीय उदाहरण सामने आये हैं। साफ-सफाई का कार्य केवल स्वीपर का है यह सोच समानता की ओर तेजी से बढ़ते समाज और बदलते समय को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं है।

संभागायुक्त श्री बहुगुणा पं. लज्जाशंकर झा उत्कृष्ट आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जबलपुर के सभाकक्ष में आयोजित जिला स्तरीय शैक्षणिक समीक्षा बैठक में हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूल के प्राचार्यों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में कलेक्टर भरत यादव, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी रजनी सिंह, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण, जिला शिक्षा अधिकारी तथा संबंधित अधिकारी मौजूद थे। 

आधुनिक युग में स्वीपर की जरूरत नहीं, वो बेहतर जॉब करेंगे

संभागायुक्त ने कहा कि वे प्राचार्य जो स्वयं अपने स्टॉफ तथा बच्चों के साथ शाला की साफ-सफाई कार्य स्वयं आगे आकर कर रहे हैं हमारे हीरो हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद शहरी आबादी बढ़ने से स्वीपर वर्ग की उपत्ति हुई। गंदगी की सफाई की अपेक्षा स्वीपर से की जाने लगी लेकिन आधुनिक युग में अब स्वीपर बेहतर जाब करेंगे उनके पास अवसर रहेगा। अब हमारी शाला हमारी जिम्मेदारी है। शाला की सफाई शाला के लोगों को ही करनी होगी। 

शिक्षा में रूचि पैदा करने की जिम्मेदारी शिक्षक और प्राचार्य की है

संभागायुक्त श्री बहुगुणा ने कहा कि जिस तरह सरकारी अस्पताल में आने वाले हर मरीज, गंभीर बीमार मरीज का बेहतर इलाज करने की जिम्मेदारी वहां पदस्थ चिकित्सक की है। उसी तरह सरकारी शालाओं में पढ़ने वाले हर बच्चे को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देना तथा प्रत्येक बच्चे में शिक्षा में रूचि पैदा करने की जिम्मेदारी शिक्षक और प्राचार्य की है। संभागायुक्त ने कहा कि प्राचार्य अपने शिक्षकों और छात्रों में विश्वास पैदा करें। अच्छा कार्य करने के लिये और सक्षम होने के लिये विश्वास पैदा करें। 

प्राचार्य और शिक्षकों को संवेदनशीलता लानी होगी

संभागायुक्त ने कहा कि गरीबी दूर करने के लिये शिक्षा महत्वपूर्ण है। हम सब को अपनी कमियां स्वयं पहचान कर दूर करना होगा तभी सुधार होगा। तभी हम अपने काम में प्रोफेशनल कहलायेंगे। प्राचार्य और शिक्षकों को संवेदनशीलता लानी होगी। प्राचार्य, शिक्षक और बच्चों से नजदीकी बढ़ाये। बच्चों के मन को बेहतर नजरिया दें। विश्वास का बंधन सुदृढ़ करें। इससे निश्चित शिक्षा का स्तर सुधरेगा। समाज, देश और बच्चों के लिये बेहतर काम हो पायेगा। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!