भोपाल। मध्यप्रदेश में अजीब सी स्थिति बन गई है। मंत्रियों का आरोप है कि मुख्यमंत्री उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। लोग अचंभित हैं कि यदि मुख्यमंत्री, अपने ही मंत्रियों की बात नहीं सुन रहे तो आम जनता की बात क्या सुनेंगे। खाद्यमंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बाद अब परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सीएम कमलनाथ को निशाने पर लिया है। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया केंप के मंत्रियों का आरोप है कि कमलनाथ के इशारे पर अफसर उन्हे तंग कर रहे हैं।
गुरुवार को गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि मुख्यमंत्री की अपनी व्यस्तताएं हैं, लेकिन विधायक और मंत्रियों की समस्याएं सुनने के लिए उन्हें हमें समय तो देना ही होगा। राजपूत की इस टिप्पणी ने सिंधिया खेमे और कमलनाथ समर्थकों के बीच चल रही तनातनी को हवा दे दी है। इधर सीएम कमलनाथ का कहना है कि सभी को अपनी बात कहने का वक्त मिलेगा, लेकिन जब बारी आएगी।
राजपूत ने कहा- यदि मंत्री कुछ कहना चाहते हैं तो सुनना होगा
मीडिया से राजपूत ने कहा कि मंत्री कुछ कहना चाहते हैं तो सीएम को सुनना होगा। कैबिनेट में बुधवार को तोमर अपनी बात रखना चाहते थे। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की सियासत नहीं है। इस पर तो आलाकमान ही फैसला लेगा।
कैबिनेट के बाद दूसरी बार ग्वालियर में हुई मंत्रियों की गोलबंदी
कैबिनेट में हुए घमासान के बाद गुरुवार को मंत्री उमंग सिंघार, इमरती देवी और प्रद्युम्न तोमर ग्वालियर में मिले। तोमर ने कहा कि सरकार में कोई मतभेद या मनभेद नहीं है। हम मिलकर काम कर रहे हैं। इमरती ने कहा कि बैठक में कोई विवाद न देखा, न सुना। बताया जा रहा है कि कैबिनेट के बाद बुधवार देर शाम गोविंद के आवास पर तोमर, डॉ. प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, इमरती देवी फिर जुटे थे। इसके बाद तोमर और इमरती अपने क्षेत्र में रवाना हो गए थे। पिछले कुछ दिनों में सिंधिया कैंप के मंत्रियों की एक साथ यह दूसरी मुलाकात थी।
सोशल मीडिया पर तोमर और राजपूत को मंत्रिमंडल से हटाने का अभियान
तोमर और राजपूत की बयानबाजी से कमलनाथ खेमे के नेता नाराज हैं और दोनों को मंत्रीपद से हटवाना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर यह खबर चलाई गई है कि दोनों मंत्रियों को जल्द ही हटाया जा सकता है लेकिन कमलनाथ और अन्य किसी नेता से ऐसे संकेत नहीं मिले। इस पर अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान ही लेगी।