1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद इंदिरा गांधी के खिलाफ मामले दर्ज हुए और उन्हे गिरफ्तार किए जाने की तैयारियां की जा रहीं थीं कि तभी एक प्लेन हाईजैक हुआ और मांग की गई कि गांधी परिवार के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं और उनकी गिरफ्तारी ना की जाए। सवाल यह है कि इस घटना के बाद क्या हुआ।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड में पूर्व अधीक्षक (2009-2018) पीयूष दीक्षित बताते हैं कि 1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद केंद्र में मोरारजी देसाई की नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। आपातकाल के दौरान विपक्ष के नेताओं पर तरह तरह के जुल्म करने के कारण इंदिरा गांधी, सरकार के निशाने पर थीं। उन्हें जेल भेजने की तैयारी चल ही रही थी कि 20 दिसम्बर 1978 की है लखनऊ से दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या IC 410 को लखनऊ से उड़ने के चंद मिनटों बाद हाईजैक कर लिया गया। इस फ़्लाइट में 130 के करीब यात्री थे। हाईजैक करने वाले थे इंडियन यूथ कांग्रेस के दो सदस्य भोला पांडे और देवेन्द्र पांडे दोनों निवासी बलिया थे।
हाईजैकर्स ने यात्रियों को रिहा करने के बदले तीन मांगे रखी
इंदिरा गांधी को जेल से रिहा किया जाय
संजय गांधी और इंदिरा गांधी के खिलाफ सारे आपराधिक मामले विड्रा किये जायें
केंद्र की जनता सरकार अपना इस्तीफा दे!
बाद में इन दोनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के साथ बातचीत में सरेंडर कर दिया। दोनों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। दोनों को सम्मान के साथ रिहा कर दिया गया। इस घटना की सभी पार्टियों ने जम कर आलोचना की सिर्फ कांग्रेस को छोड़कर। संसद में चर्चा के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ सांसदों जिनमे वसंत साठे और आर वेंकटरमन ने इस घटना की तुलना गांधी जी के नमक आंदोलन से कर डाली और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोध करने के अधिकार से जोड़ दिया बाद में इन्ही हाईजैकर्स को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश से टिकट देकर विधायक बनवाया और वेंकटरामन आगे जाकर देश के राष्ट्रपति बने। सरेंडर के बाद पता चला कि प्लेन हाईजैक के समय दोनों नेताओं ने जिन हथियारों का उपयोग किया था, वो नकली थे।