BHOPAL NEWS: हिजाबपिन दांत में दबा रखी थी, छींक आई और पिन फैंफड़े में फंस गई

NEWS ROOM
भोपाल। दांतों में कोई भी चीज दबाना बेहद खतरनाक हो सकता है। विदिशा की रहने वाली 15 साल की किशोरी सानिया (SANIYA) के साथ भी यही हुआ। उसने बाल में लगाने की पिन दांत में दबाई और बालों को समेटने लगी। इसी बीच उसे छींक आई और पिन सांस नली में जाकर फंस गई। पिन फेफड़े के सबसे निचले हिस्से तक पहुंच गई थी। काफी मशक्कत के बाद हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) के डॉक्टरों (Doctors) ने बिना सर्जरी के पिन निकाल ली।  

हमीदिया अस्पताल के नाक, कान एवं गला विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर (डॉ.) यशवीर जेके ने बताया कि मंगलवार को उन्होंने किशोरी को ओपीडी में देखा था। रिजिड (कठोर) ब्रांकोस्कोप से पिन निकालने की कोशिश की गई, पर पिन नहीं निकली। इसके बाद सीटी स्कैन कराया।

इसमें पिन की सही स्थिति पता चली। शनिवार को फाइबर आप्टिक ब्रांकोस्कोप से पिन निकालने की कोशिश की गई। इसके लिए पल्मोनरी मेडिसिन विभाग से फाइबर आप्टिक ब्रांकोस्कोपी के विशेषज्ञ डॉ. पराग शर्मा व एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. दीपेश गुप्ता को बुलाया गया। सभी ने मिलकर करीब आधे घंटे में पिन को बाहर निकाला। किशोरी पूरी तरह स्वस्थ है। दो दिन बाद छुट्टी होने की उम्मीद है।

डॉ. यशवीर ने बताया कि पिन नुकीली थी। खांसने, छीकने व सांस लेने पर वह नीचे की तरफ जा रही थी। सांस नली के सबसे निचले हिस्से में पहुंंचकर पिन टेढ़ी हो गई थी। इस वजह से निकालने में काफी दिक्कत हो रही थी। उन्होंने बताया कि पिन नहीं निकलती तो उतना फेफड़ा निकालना पड़ता।

उन्होंने बताया कि फाइबर आप्टिक ब्रांकोस्कोप लचीला होता है। इसके जरिए सांस नली में पड़ी किसी चीज को कंप्यूटर स्क्रीन पर देखा और निकाला जाता है। उन्होंने कहा कि हमीदिया अस्पताल में सालभर के भीतर करीब चार केस आ चुके हैं, जिसमें दांत में दबी चीज निगल गई।

मुंबई ले जाने की तैयारी थी

बच्ची के पिता जमील अहमद ने बताया कि विदिशा के एक सरकारी और दो निजी अस्पतालों में दिखाया तो सभी ने भोपाल ले जाने की सलाह दी। भोपाल में चार अस्पतालों में दिखाने के बाद डॉक्टरों ने सर्जरी के लिए मुंबई ले जाने को कहा। इसके बाद मंगलवार को हमीदिया अस्पताल लेकर पहुंचे और शनिवार को पिन निकाली गई।
Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!